दिल्ली के दो डॉक्टर के लाइसेंस पर लिखा गया "इलाज में की लापरवाही"
| 6/25/2020 10:06:15 PM

Editor :- Mini

नई दिल्ली,
इलाज में लापरवाही के मामले पर पहली बार दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने दिल्ली के दो चिकित्सकों के लाइसेंस पर स्थाई रूप से उनके द्वारा की गई लारवाही का विवरण लिखने का आदेश जारी किया है। सरोज अस्पताल में कार्यरत डॉ. ग्रीस कुमार मानवानी और डॉ. विवेक गुप्ता के लाइसेंस पर स्थाई तौर पर दिए गए रिमार्क के तहत चिकित्सीय लारवाही की शिकायत दर्ज की गई है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने लापरवाही के ऐसे पहले मामले पर लाइसेंस पर रिमार्क दिया है। जिसे अब हटाया नहीं जा सकेगा। उपरोक्त दोनों चिकित्सकों को गार्गी मीणा के इलाज के दौरान हुए मौत के मामले में दोषी पाया गया था। इसी मामले में अस्पताल की महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. निशा जैन का लाइसेंस एक महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 42 वर्षीय गार्गी मीणा को रोहिणी स्थित सरोज सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में महावारी के दौरान होने वाले पेट दर्द की शिकायत के चलते भर्ती किया गया था। जहां 29 मार्च 2018 को रसौली की सर्जरी की गई और इसी दौरान इलाज में लापरवाही के चलते महिला की मौत हो गई। मामले पर एक जून 2020 को दिल्ली मेडिकल काउंसिल द्वारा की गई जांच में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. निशा जैन को दोषी मानते हुए एक महीने के लिए लाइसेंस निलंबित करने का आदेश दिया, वहीं इलाज की टीम में शामिल डॉ. ग्रीस कुमार मानवानी और विवेक गुप्ता की भी लापरवाही देखी गई। डीएमसी ने पहली बार दोनों चिकित्सकों के लाइसेंस पर उनके दोषी पाए जाने की रिमार्क अंकित करने का आदेश दिया। गार्गी मीणा के पति उत्तम चंद मीणा ने बताया कि मामले पर पत्नी को न्याय दिलाने के लिए प्रशांत विहार थाने में एफआरआई दर्ज कराई गई, इसके साथ ही दिल्ली मेडिकल काउंसिल और डीएचएस में भी शिकायत दर्ज की गई। डीएमसी की अनुशासनात्मक समिति की दो साल की जांच के बाद अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. निशा जैन और अन्य दो चिकित्सक डॉ. ग्रीस और डॉ. विवेक को दोषी पाया गया। डीएमसी ने डॉ. निशा जैन का एक महीने के लिए लाइसेंस रद्द किया है, जबकि दोनों चिकित्सकों के लाइसेंस पर यह दर्ज कर दिया गया है कि वह चिकित्सीय लापरवाही में दोषी पाए गए हैं। उत्तम चंद मीणा ने बताया कि न्याय की लड़ाई अभी जारी रहेगी, मामले पर अस्पताल पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, इसके लिए नेशनल कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया गया है।

क्या था मामला
उत्तमचंद मीणा ने बताया कि डॉक्टर ने सर्जरी ने पहले डॉक्टरर्स ने केवल इतना पूछा कि महिला के पेट में रसौली है, केवल उसे निकाला जाएं या पूरा यूट्रेस निकाल दिया जाएं? परिजनों द्वारा यूट्रेस निकालने की सहमति दी गई, लेकिन इसी मामूली सर्जरी के दौरान में इलाज में भारी लापरवाही हुई जिसके कारण मरीज की हालत बिगड़ती गई। 31 मार्च को गार्गी मीणा ने दम तोड़ दिया।




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