भारतीय युवाओं में दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा
| 6/19/2017 10:26:21 AM

Editor :- monika

नई दिल्ली: एक शोध के अनुसार, शहरों में रहने वाले 25 से 40 वर्ष आयु वर्ग के करीब 7 प्रतिशत युवा कई तरह के हृदय रोगों से पीड़ित हैं। युवक हों या युवतियां, युवा पीढ़ी में हृदय रोगों का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि भारत में दिल के दौरों से मरने वालों में 50 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से कम आयु के रहे हैं, जबकि 25 प्रतिशत मामलों में मृतकों की आयु 40 वर्ष से कम रही है। गांवों में रहने वाले युवाओं के मुकाबले शहरी युवाओं में दिल के रोगों का खतरा तीन गुना अधिक रहता है।

भारत में होने वाली मौतों की एक बड़ी वजह हृदय रोग हैं और आने वाले वक्त में इस मामले में अपना देश दुनिया में सबसे आगे होने वाला है। अध्ययनों से पता चला है कि हृदय रोगों के मामले में भारतीय युवा पश्चिमी युवाओं से 10 वर्ष आगे चल रहे हैं। यह सब एक ही जगह पर घंटों-घंटों बैठे रहने और शारीरिक गतिविधियां न करने से हो रहा है। इस बारे में बताते हुए, आईएमए के नेशनल प्रेसीडेंट और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट पद्मश्री डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा, ‘कार्डियो वास्कुलर रोगों में कोरोनरी हृदय रोग, दिल का दौरा पड़ना, कार्डियोमायोपैथी, जन्मजात हृदय रोग, परिधीय धमनी रोग एवं आघात आदि शामिल है। इनमें कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) भारत के युवाओं में सबसे अधिक पाया जा रहा है। धमनियों के कठोर होने की वजह है उनमें प्लेक का जमाव। इस स्थिति में, मुलायम और लचनशील धमनियां भी प्लेक जमने से सख्त हो जाती हैं। इस कारण से, हृदय को रक्त व ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने लगती है। इसके अलावा, प्लेक अचानक से फटने से दिल का दौरा पड़ सकता है और रोगी की तत्काल मौत हो जाती है। इस रोग में छाती में दर्द उठता है और सांस लेने में कठिनाई होती है। कई बार अधिजठर असुविधा, जबड़े में दर्द या बायीं बांह में भी दर्द उठता है।

दिल के रोग होने का महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक डर रहता है। जिन लोगों को हृदय रोग होने का थोड़ा सा भी अंदेशा हो उन्हें नियमित तौर पर समय-समय पर अपनी जांच कराते रहना चाहिए, ताकि खतरा महसूस होने पर वे जरूरी कदम उठा सकें। डॉक्टर अग्रवाल ने आगे बताया, ‘एक ही स्थान पर देर तक बैठे रहने, धूम्रपान करने, अल्कोहल का सेवन करने, अधिक नमक वाला भोजन करने, और शारीरिक व्यायाम न करने वालों को उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रोल, मधुमेह और मोटापे जैसी व्याधियां सता सकती हैं, जो अंततः हृदय रोगों का कारण बनती हैं। जिनके परिवार में किसी को पहले से ही हृदय रोगों, मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि की शिकायत रही हो, उन्हें 25 वर्ष की आयु में अपना पहला चैकअप करा लेना चाहिए और उसके बाद समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहना चाहिए। रोग जल्दी पकड़ में आ जाने पर समय से इलाज शुरू हो जाता है और हृदय रोगों व अन्य खतरों को कम किया जा सकता है।


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