तेज धूप पहुंचा रही है नाजुक आंखों को तकलीफ

नई दिल्ली।
बढ़ता तापमान गर्मी ही नहीं, आंखों की तकलीफ भी दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेज धूप से आंखों को बचाने के लिए जरूर है कि घर से बाहर निकलने पर अच्छी क्वालिटी के यूवी या अल्ट्रावायलेट प्रोटेक्टेड चश्में का ही प्रयोग किया जाए। इस बावत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान के आरपी सेंटर में किए गए एक शोध के अनुसार धरती पर अब सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें अब पहले की अपेक्षा अधिक मात्रा में पहुंच रही हैं, जो आंख व त्वचा संबंधी गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं।
एम्स के आरपी पूर्व एचओडी और एके ऑप्थेमेलॉजी सेंटर के प्रमुख डॉ. अतुल कुमार बताते हैं धरती की ओजेन लेयर के क्षतिग्रस्त होने से यूवी किरणों का असर दिखने लगा है, जो निश्चित रूप से त्वचा व आंखों को प्रभावित कर रहा है। ग्रामीण शहरी क्षेत्र के पांच हजार लोगों पर किए गए गहन परीक्षण कर इस बात का पता लगाया गया। प्रोजेक्ट के आंकड़े कहते हैं कि धरती तक पहुंचने वाली यूवी बी किरणों की वजह से मोतियाबिंद, शुष्क आंखें (पीट्रिगियम) वरनल केराटोकंजेक्टिव आदि तकलीफ देखी गई हैं। हालांकि लोगों को यह पता ही नहीं है कि आंखों की यह दिक्कत सीधे तेज धूप के संपर्क में आने की वजह से हुई है। शोध में उन लोगों को शामिल किया गया जो पहले से आंखों की किसी भी तकलीफ से पीड़ित नहीं थे। प्रोजेक्ट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के 30 क्लस्टर ग्रुप बनाकर सर्वेक्षण किया जाएगा। प्रत्येक क्लस्टर में 150 लोग शामिल होंगे, जिसमें 40 साल के आयु वर्ग से लेकर 5-15 साल के बच्चें भी शोध के दायरे में होगें।

क्या हैं अन्य आधार
-विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में इस समय एक करोड़ 8 लाख लोग अंधे हैं, जिनमें से 7 प्रतिशत लोग यूवी-बी के सीधे संपर्क में आने की वजह से अंधता के शिकार हुए।
-पृथ्वी की भूमध्य रेखा के करीब आने वाले देश में रहने वाले लोगों पर यूवी किरणें का असर कहीं अधिक देखा गया, मई से जून महीने के बीच भारत में बनने वाले सूरज और पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति भी इसके लिए जिम्मेदार मानी गई हैं।
-ओजोन परत के ऊपर प्रत्येक 1000 मीटर की ऊं चाई पर 5 प्रतिशत यूवी किरणें बढ़ जाती हैं।
-धरती पर सीधें पड़ने वाली 90 फीसदी यूवी को ओजोन परत रोक देती है।

क्या हो सकती हैं सावधानियां
-आंखों को धूप के सीधें संपर्क से बचाएं
-प्रत्येक दो महीने में आंखों का ही नहीं, रेटिना की भी जांच कराएं
-खीरा, बर्फ की सिंकाई व ठंडे पानी से आंखें धोना होगा कारगर
-कंप्यूटर के संपर्क में रहने से भी रेटिना प्रभावित होता हैं, अधिक प्रयोग से बचें
-आंखों की थकान को समझें, यदि जलन या लालिमा हों तो चिकित्सक से संपर्क करें

त्चचा पर हो सकती है एलर्जी
आंखें ही तेज धूप त्वचा को भी झुलसा रही है। यही कारण है कि विशेषज्ञ अब सूरज की रौशनी को भी एक तरह का सन रेडिएशन मानने लगे हैं। इस बावत दिल्ली विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग, नालंदा कॉलेज ऑफ फार्मेसी आंध्र प्रदेश सहित रेडिएशन पर शोध करने वाले स्वयं सेवी संगठन टॉक्सिक लिंक के अध्ययन भी यह बात साबित करते हैं। डीयू की एक्विेटिक लैब में डॉ. जेएस एस शर्मा के नेतृत्व में हुए अध्ययन में देखा गया कि अल्ट्रावायलेट किरणें तेजी से मछलियों के गिल्स को संकुचित कर देती हैं। इस तरह की नियमित स्थिति उन्हें पानी में असहज बना रही हैं। जबकि नालंदा विश्वविद्यालय के परिणाम कहते हैं कि यूवी किरणें त्वचा के कोलेजन नामक फाइबर को तेजी से क्षतिग्रस्त करती हैं, जिसकी वजह से समय से पहले ही त्वया ढीली हो जाती है। कुछ विशेषज्ञ सन रेडिएशन की वहज से डीएनए क्षतिग्रस्त होने की बात भी स्वीकार करते हैं। अपोलो अस्पताल के डरमेटोलॉजिस्ट डॉ. कुलदीप ने बताया कि यूवी त्चचा की पीएफ स्तर को अनियंत्रित कर देती हैं। हालांकि इस संदर्भ में अभी तक एंटीएंजिंग क्रीम को भी अधिक कारगर नहीं माना गया है। सन रेडिएशन त्चचा के कैंसर मैलोमा का भी प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा सन बर्न और विटिलगो (सफेद दाग) भी यूवी की वजह से हो सकता है।

बचाव ही है कारगर
-हालांकि सभी तरह की एंटी एंजिग सही नहीं, बावजूद इसके स्किन जांच करा कर बचाव के उपाए किए जा सकते हैं।
-फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट व विटामिन ई युक्त चीजें जैसी किवी, ब्रोकली, लिची आदि त्चवा संरक्षित की जा सकती है।
-समय से पहले त्वचा पर हानिकारक कैमिकल युक्त ब्लीच नहीं लगानी चाहिए, यह प्राकृतिक सेल्स को नष्ट करती हैं।
-धूप में अधिक रहने से बचें, यदि निकलना ही है तो चेहरे को बेहतर ढंग से ढककर ही बाहर निकलें

और भी यूवी के असर
हीट स्ट्रोक- तेज धूप सीधे हीट स्ट्रोक का कारण हैं। जिसकी वजह से निम्न रक्तचाप, चक्कर व बैचैनी महसूस होती है। जीटीबी के जनरल फीजिशियन डॉ. रजत झांब कहते हैं कि दो प्रतिशत मामलों में हीट स्ट्रोक मृत्यु का भी कारण बन सकती है।
बालों पर असर- धूप में बाल सफेद होते हैं यह केवल कहावत नहीं सच है, सन रेडिएसन बालों के वास्तविक काले रंग को भूरा करने के बाद सफेद कर रही है। जानी मानी सौंदर्य विशेषज्ञ डॉ. जमुना पई कहती हैं कि बालों को कलर करवाने वालों में दो प्रतिशत लोगों के भी प्राकृतिक काले बाल नहीं होते हैं, जिसकी वजह से वह मजबूरन बालों को कलर करवाते हैं।

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