नई दिल्ली,
मंगलवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने आम बजट को लोकसभा में प्रस्तुत किया। स्वास्थ्य सेवाओं पर आम बजट में इस बार लोगो को लुभाने वाला ऐसा कुछ भी शामिल नहीं किया गया। कोविड काल की प्रभाव को देखते हुए मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकार ने 23 नये टेलीमेंटल हेल्थ सेंटर खोलने की बात कही है। इसके साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग करते हुए सबके स्वास्थ्य का ई डिजिटल रिकार्ड संरक्षित किया जाएगा। टेलीमेंटल हेल्थ सेंटर निमहंस बंगलूरू द्वारा संचालित किए जाएगें जिसके लिए तकनीकि सहयोग आईआईटी बांबे द्वारा किया जाएगा। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ और स्वदेशी मेडिकल उपकरण निर्माता कंपनियों ने आम बजट से निराशा जताई है। आत्मनिर्भर भारत के एजेंडें में स्वदेशी कंपनियों के लिए सरकार ने कुछ नया नहीं किया जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके।
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने प्रस्तावित स्वास्थ्य बजट पर निराशा जताई है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए सेंटर शुरू किए जाने में नया कुछ भी नहीं है कोविड महामारी के दौरान सरकार ने एक साल पहले ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन की शुरूआत कर दी थी। वहीं डिजिटल हेल्थ पर भी ई डायरी का काम प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर इंफ्रास्ट्रक्चर योजना में पहले ही व्यवस्था की बात की गई। हिंदुस्तान लिवर के एमडी राजीव नाथ ने बताया कि फार्मा इंडस्ट्री को स्वास्थ्य बजट से काफी उम्मीदें थीं, मेडिकल उपकरण निर्माता कंपनियों को इस बात के बजट से उम्मीद थी कि आत्मनिर्भर भारत के तहत देश में बनने वाले मेडिकल उपकरणों के लिए कुछ अधिक बेहतर सुविधाएं दी जानी चाहिए थीं, इसके कस्टम ड्यूटी में बदलाव किया जा सकता था, जिससे निर्यात आसान हो सकता था। भारतीय मेडिकल उपकरण निर्माताओं की उम्मीद थी कि यदि देश में ही बनने वाले उपकरणों के लिए अधिक फेवरेबल परिस्थितियां बनाई जाती तो देश के आम लोगों के लिए कम कीमत पर मेडिकल उपकरण उपलब्ध हो सकते थे। कोविड काल में जबकि विदेशों से आयात करना मुश्किल हो गया था ऐसे समय में भारतीय मेडिकल उपकरण निर्माता कंपनियों ने भारत सरकार को हर संभव उपकरण उपलब्ध कराएं, ऐसे में आम में बजट में कंपनियों की उम्मीद के अनुसार बजट नहीं पारित किया गया। इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडट्री की आम बजट से कुछ खास उम्मीदें थी- जिसमें टैरिफ योजना में बदलाव, कस्टम ड्यूटी में बदलाव, मेडिकल उपकरणों पर 18 प्रतिशत जीएसटी घटाकर 12 प्रतिशत की जानी चाहिए थी, क्योंकि मेडिकल उपकरण लक्जरी सामान की सूची में नहीं आते हैं। उपकरणों के शोध और रिसर्च कार्य पर भी छूट दी जा सकती थी, जिससे स्वदेशी उपकरणों को अधिक बढ़ावा दिया जा सकता था। राजीव नाथ ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर देश की अर्थव्यवस्था में मेडिकल जगत के लिए भी कुछ ऐसी योजनाएं प्रस्तुत की जानी चाहिए थी, जिससे स्वदेशी उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा सकता था।