सात साल की उम्र से रखें बच्चे के बीपी पर नजर
| 7/16/2020 10:19:44 AM

Editor :- Mini

बचपन में की गई ब्लडप्रेशर की जांच बच्चों को भविष्य में दिल की बीमारियों से बचा सकती है। भारतीय बच्चों में मोटापे की समस्या को देखते हुए इंडियन पीडियाट्रिक एसोसिएशन ने सात साल की उम्र से बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच में ब्लडप्रेशर को भी शामिल करने की बात कही है। ऐसा करने से बच्चों की डायट में दिए जाने वाले अतिरिक्त नमक से भी बचा जा सकता है। चिप्स, मोमोज, बर्गन आदि संरक्षित खाद्य पद्धार्थ में अधिक मात्रा में नमक होता है, जो कम उम्र से ही बच्चों के ब्लड प्रेशर को अनियंत्रित कर देता है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में मार्च महीने में छपे लेख में बच्चों में साल की उम्र से ब्लडप्रेशर जांच को अनिवार्य बताया गया। भारतीय बच्चों में मोटापे की समस्या को लेकर इंडियन पीडियाट्रिक एसोसिएशन काफी गंभीर है। एसोसिएशन की सदस्य और एम्स की बालरोग विशेषज्ञ डॉ. शिल्पा ने बताया कि भारतीय बच्चों के मोटापे पर किए गए एनडॉक(नेशनल डायबिटीक ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्राल फाउंडेशन) के अध्ययन के अनुसार मेट्रो शहर में 22 फीसदी बच्चे अधिक वजन के हैं। इस आधार पर भविष्य में इन बच्चों को दिल की बीमारी से सुरक्षित रखने ब्लडप्रेशर जांच बेहद जरूरी है। दिल्ली स्कूल हेल्थ कार्यक्रम के अनुसार अभी तक बच्चों की स्वास्थ्य जांच में साधारण वजन और ईएनटी जांच के अलावा डेंटल जांच की जाती है। बालरोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव बघई कहते हैं कम उम्र में नमक का अधिक समय बच्चों को भविष्य की कई बीमारियां दे सकता है। दस साल से कम उम्र में यदि बच्चे का वजन सामान्य से अधिक है तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। उसके खाने में तुरंत संरक्षित चीजें हटा दे और हफ्ते में उसका ब्लड प्रेशर जांच जरूर कराएं।

क्या होगा फायदा
यदि उम्र के अनुसार बच्चे का वजन अधिक है तो ऐसे में ब्लडप्रेशर कम या अधिक होगा। सही समय पर असामान्य ब्लडप्रेशर की जांच से बच्चों को कराए जाने वाले व्यायाम से उसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही बढ़ा हुआ या कम ब्लडप्रेशर पता लगाने से बच्चों के डायट प्लान को भी तैयार किया जा सकता है। दरअसल अधिक या कम ब्लडप्रेशर का मतलब है कि दिल शरीर के अन्य हिस्सों में खून की आपूर्ति करने के लिए कम या अधिक तेजी से पंपिंग कर रहा है। लगातार अनियमित ब्लडप्रेशर दिल की धमनियों में खून की आपूर्ति को बाधित कर देता है।

कहां कितने बच्चे मोटापे के शिकार
शहर निजी स्कूल सरकारी स्कूल
दिल्ली 31.5 9.2
आगरा 24.5 5.3
जयपुर 15.4 5.4
मुंबई 33.9 8.4
नोट- सर्वे एनडॉक द्वारा आठ शहर के 50 हजार बच्चों पर जारी किया गया।

ताकि रहें बच्चों की सेहत आपके हाथ
-खाने में जंक फूड से करें परहेज, फाइबर युक्त हरी सब्जियां हैं बेहतर
-नाश्ते की शुरूआत हो हेल्दी खाने से, दूध के साथ फ्रूट जूस और स्पॉउट हैं कारगर
-खाने में हो संतुलित आहार, अधिक तेल से करें तौबा, दाल व पनीर हैं बेहतर विकल्प
-केवल दूध से नहीं बनेगी बात, मल्टी ग्रेन आटा कर सकता है बच्चों का संतुलित विकास
-शारीरिक व्यायाम भी है बहुत जरूरी, केवल कंम्यूटर या इंडोर गेम की आदत से बचाएं



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