महामारी के दौरान लड़कों की तुलना में स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाओं से वंचित रहीं लड़कियां
| 3/2/2022 5:21:10 PM

Editor :- Mini

नई दिल्ली,
सेव द चिल्ड्रन इंडिया (बाल रक्षा भारत के नाम से मशहूर) ने एक शोध आधारित अध्ययन में शहरी झुग्गियों की आबादी पर केन्द्रित रहते हुए लड़कियों पर पड़ने वाले कोविड-19 के गैर-अनुपातिक प्रभाव पर रोशनी डाली। स्पॉट लाईट ऑन एडोल्सेंट गल्र्स एमिड कोविड-19 की थीम के साथ वल्र्ड ऑफ इंडियाज़ गल्र्स - विंग्स 2022 की रिपोर्ट बुधवार जारी की गई। इस रिपोर्ट में भारत में पहली बार महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान और लॉकडाउन के बाद लड़कियों की स्थिति का खुलासा किया गया। कोविड-19 वायरस की अलग-अलग लहरों और उसके म्यूटेट होने के कारण लड़कियों की स्थिति और ज्यादा खराब होती चली गई।
इस अध्ययन में उनकी असुरक्षा के संदर्भ में होने वाले परिवर्तनों पर केन्द्रित रहते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा एवं खेल व मनोरंजन के अवसरों में आई रुकावटों का खुलासा किया गया। इसमें स्वास्थ्य व पोषण की बढ़ती असुरक्षाओं, पढ़ाई के अवसरों में आई अचानक गिरावट, जल्दी शादी करने का दबाव, खेल व मनोरंजन की सीमित सुविधाओं के साथ परिवारों द्वारा अपनाई गई ढलने की प्रक्रियाओं को समझना शामिल किया गया है।
इस रिपोर्ट के बारे में सेव द चिल्ड्रेन की सीईओ सुदर्शन सुची ने कहा कि आजादी के 75 साल पूरे होने के बाद भी हम अपने देश की बच्चियों को शत प्रतिशत सुरक्षित नहीं कर पाए हैं। विंग्स 2022 रिपोर्ट हमारे देश द्वारा सभी बच्चों की सुरक्षा में निवेश न करने के कारण उत्पन्न जोखिमों को सामने लाने का हमारा प्रयास है। भारत में बच्चों की आधी आबादी को उनके मूलभूत अधिकार समान रूप से नहीं मिल पाते, जो यहां की दयनीय स्थिति को प्रदर्शित करता है। इस रिपोर्ट के साथ सेव द चिल्ड्रेन बालिका सुरक्षा के समाधान का हिस्सा बनने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। विभिन्न उपायों के द्वारा यह रिपोर्ट हम सभी को भविष्य का एक मार्ग प्रदान करती है। ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम सबका दायित्व है कि हम प्रथम स्टेक होल्डर्स यानि बच्चों की आवाज को शामिल कर उनके लिए योजना बनाने के दृष्टिकोण की बजाय उनके साथ योजना बनाने का दृष्टिकोण अपनाएं।
इस अध्ययन में किशोर बच्चियों की आवाज को भी समाहित किया गया है, ताकि उनके जीवन में हुए परिवर्तनों की व्याख्या की जा सके। यह परिणाम एक उचित प्रतिक्रिया का प्रारूप बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, ताकि सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए परामर्श तैयार कर बेहतर समाज बनाया जा सके। इससे नीति निर्माता एवं क्रियान्वयन करने वाले बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए दीर्घकालिक सामरिक उपाय करने में समर्थ बनेंगे।
प्रभावशाली और विस्तृत परिवर्तन लाने के उद्देश्य से यह अध्ययन चार राज्यों- दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, और तेलंगाना में किया।




Browse By Tags



Videos
Related News

Copyright © 2016 Sehat 365. All rights reserved          /         No of Visitors:- 565124