90 प्रतिशत महिलाएं नहीं करती Public Toilets का इस्तेमाल
| 8/8/2019 10:18:34 PM

Editor :- Mini

नई दिल्ली,
साफ सफाई को बढ़ावा देने के लिए भले ही मोदी सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन देश के सार्वजनिक शौचालय को महिलाएं इतना साफ नहीं मानती कि आपात स्थिति में उनका प्रयोग भी किया जा सके। महिलाओं की सार्वजनिक शौचालयकों को लेकर यह सोच एक सर्वेक्षण के जरिए सामने आई है, जिसमें 20 हजार महिलाओं से बात की गई।
से नो टू डर्टी टवालेट्स विषय पर आधारित सर्वेक्षण में 18 से 50 साल तक की महिलाओं से बात की गई। सभी तरह की सोशल मीडिया साइट्स जैसे व्हाट्सअप, ईमेल, मैसेज और चैट के जरिए महिलाओं से सार्वजनिक शौचालयों को लेकर उनकी राय पूछी गई। दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, हैदराबाद, बंगलूरू, लखनऊ, चेन्नई, पटना, पूणे और कोलकाता की महिलाओं में सर्वेक्षण में भाग लिया। अधिकांश महिलाओं ने कहा कि घर से बाहर शॉपिंग करने या बाजार में जाने के दौरान वह गंदे शौचालयों में आने की जगह यूरीन को रोकना अधिक पसंद करती हैं। 65.2 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि गंदे सार्वजनिक शौचालयों अकसर इस्तेमाल करने की वजह से उन्हें यूटीआई यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन की शिकायत हुई। महिलाओं को सार्वजनिक शौचालयों की सफाई को लेकर अधिक मजबूती से अपनी आवाज उठानी चाहिए। अध्ययन के अनुसार 51.3 प्रतिशत शौचालय बेहद गंदे पाए जाते हैं, 40.8 प्रतिशत कम गंदे जबकि केवल आठ प्रतिशत शौचालय ही बहुत साफ देखे गए।
मालूम हो कि यूरीन का दवाब आने पर अधिक समय तक इसे रोकने से किडनी संबंधित तकलीफ हो सकती हैं, पेशाब रोकने से ब्लेडर की मांसपेशियां कमजोर होती हैं इसके साथ ही इससे पेट के नीचले हिस्से में दर्द की भी शिकायत हो सकती है। सर्वेक्षण पिंकशाई गैर सरकारी सहायता प्राप्त स्वयंसेवी संगठन और महिला स्वावलंन और स्वच्छता के क्षेत्र में काम कर रही सनफी के सहयोग से किया गया।


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