किराए का कोख अब नहीं बिकेगा!
| 6/17/2017 1:10:51 PM

Editor :- Rishi

नई दिल्ली: आने वाले दिनों में सेरोगेट मदर की मदद से मां बनना आसान नहीं होगा, क्योंकि किराए के कोख (सेरोगेट मदर) अब वही महिला बन पाएंगी जो बच्चे के लिए बेताब दंपत्ती के क्लोज संबंधी हो। यानि किराये की कोख की मदद से घर में बच्चो की किलकारी सुनने को बेताब दम्पतियों की परेशानी नए बिल के बाद बढ़ सकती है। 19 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र में इस बिल को राजयसभा में पेश किया जायेगा, यदि बिल को बिना किसी संसोधन के मंजूरी मिल गई तो जाती है तो अंगदान की तरह ही सेरोगेसी के लिए भी सगे रिश्ते ही केवल मान्य होंगे, दम्पति की बहन ही अपनी कोख दे पायेगी।

नए सेरोगेसी बिल की कोर कमेटी में शामिल आईवीएफ विशेषज्ञ और इंटरनैशनल इनफर्टिलिटी सेंटर की डॉक्टर रीता बक्शी ने बताया कि नए बिल के बाद सेरोगेसी से जरिये संतान सुख लेना मुश्किल होगा, अंगदान की तर्ज पर केवल वधु पक्ष की बहन या रिश्तेदार की कोख ही किराये पर ली जा सकेगी। डॉ बक्शी के अनुसार बिल को ड्राफ्ट करने से पहले विशेषज्ञों की राय लेने चाहिए थी, देश में इस समय 3.5 लाख निसंतान दम्पति है यह वह दम्पति है जिन्हे अनाथालयों से भी निराशा हासिल हुई है।

एक रिपोर्ट के अनुसार बच्चे गोद लेने के इच्छुक दम्पतियों के एवज में केवल दो प्रतिशत दम्पतियों को ही अनाथालयों से औलाद की खुशी मिलती है। यहां तीन से चार साल की वेटिंग है, सेरोगेसी कारोबार की कमियों को दूर करने की बजाय इस पर रोक लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। सेरोगेसी के कुछ सेंटर गर्भ में नौ महीने बच्चे को रखने वाली मां के आहार और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए था।

सेरोगेसी मां पर सर्वेक्षण करने वाली सेंटर फॉर साईट की डॉ रंजना कुमारी ने बताया की बिल में सुधार का प्रस्ताव दिया गया है जिससे सेरोगेसी के व्यापारिक उदेश्य को कम किया जा सके, मालूम हो सेरोगेसी के नियम सख्त होने के बाद विदेशी दम्पति अब देश में किराये की कोख नहीं ले सकते जबकि सेरोगेसी बिल 2016 को मंजूरी मिलने के बाद नियम और भी सख्त कर दिए जायेंगे, जबकि एक अन्य प्रस्तावित एआरटी बिल की मंजूरी के बाद शुक्राणु दान करने पर भी नकेल कसी जाएगी। फिलहाल इनफर्टिलिटी के बाजार में दो से तीन लाख रूपये में आईवीएफ और 12 से 13 लाख रुपए में सेरोगेसी के जरिये संतान सुख लिया जा सकता है, इसमें नौ महीने नवजात को कोख में रखने वाली माँ को केवल एक से डेढ़ लाख रुपए ही मिलते है।


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