दिल की बीमारी के चपेट में युवा

नई दिल्ली: डब्ल्यूएचओ की मानें तो दुनिया भर में 5 में से 1 पुरुष और 8 में से 1 महिला की मौत हार्ट की बीमारी की वजह से होती है। हर रोज औसतन 9,000 लोगों की मौत दिल की बीमारी के कारण हो जाती है। इसका मतबल साफ है कि दिल की बीमारियों के कारण हर 10 सेकंड में एक मौत होती है। उनमें से 900 लोग 40 साल से कम उम्र के युवा होते हैं। यनि युवाओं पर दिल की बीमारी का बोझ बढ़ता जा रहा है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ नित्यानंद त्रिपाठी के अनुसार भारत में हृदय रोग की महामारी को रोकने का एकमात्र तरीका लोगों को शिक्षित करना है वरना 2020 तक सबसे अधिक मौत हृदय रोग के कारण ही होगी। धूम्रपान, अधिक वजन, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी आदतों और स्थितियों के कारण होने वाली बीमारी है।
डॉक्टर का कहना है कि दिल के दौरे का संबंध पहले बुढ़ापे से माना जाता था। लेकिन अब अधिकतर लोग अपने 20वें, 30वें और 40वें दशक के दौरान ही दिल की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। आधुनिक जीवन के बढ़ते तनाव ने यहां तक कि युवा लोगों में दिल की बीमारियों के खतरे पैदा कर दिया है। हालांकि अनुवांशिक और पारिवारिक इतिहास अब भी सबसे आम और अनियंत्रित जोखिम कारक बना हुआ है, लेकिन युवा पीढ़ी में अधिकतर हृदय रोग का कारण अत्यधिक तनाव और लगातार लंबे समय तक काम करने के साथ- साथ अनियमित नींद पैटर्न है, जिसके कारण इंफ्लामेषन पैदा होता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान और आराम तलब जीवनशैली भी 20 से 30 साल के आयु वर्ग के लोगों में इसके जोखिम के लक्षणों को और बढ़ाती है।
डॉक्टर का कहना है कि देश में कार्डियक अस्पतालों में 2 लाख से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है और इसमें सालाना 25 प्रतिषत की वृद्धि हो रही है लेकिन वे दिल के दौरे की संख्या को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हैं। जो सर्जरी की जाती है वह केवल तात्कालिक लाभ के लिए होती है। हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए लोगों को हृदय रोग और इसके जोखिम कारकों के बारे में जरूरी चीजों से अवगत कराना महत्वपूर्ण है।
कैसे पहचानें: हृदय के सभी रोगियों में समान लक्षण नहीं होते हैं और एंजाइना छाती का दर्द इसके सबसे आम लक्षण नहीं है। इसके लक्षण शून्य से लेकर गंभीर तक अलग- अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों को अपच की तरह असहज महसूस हो सकता है और कुछ मामलों में गंभीर दर्द, भारीपन या जकड़न हो सकता है। आमतौर पर दर्द छाती के बीच में महसूस होता है, जो बाहों, गर्दन, जबड़े और यहां तक कि पेट तक फैलता है, और साथ ही धड़कन का बढ़ना और सांस लेने में समस्या होती है।
क्या नुकसान होता है: अगर धमनियां पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो दिल का दौरा पड़ सकता है जो हृदय की मांसपेशियों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। दिल के दौरे में होने वाले असुविधा या दर्द आमतौर पर एंजाइना के समान होता है, लेकिन यह अक्सर अधिक गंभीर होता है और इसमें साथ ही पसीना आना, चक्कर आना, मतली और सांस लेने में समस्या जैसी समस्या भी हो सकती है। मधुमेह वाले लोगों में यह अधिक आम है। दिल के दौरे का तुरंत इलाज नहीं किये जाने पर यह घातक हो सकता है।
कैसे बचा जा सकता है: डॉ नित्यानंद त्रिपाठी के अनुसार कोरोनरी हृदय रोग ठीक नहीं हो सकता है, लेकिन इसके इलाज से लक्षणों का प्रबंधन करने, दिल की कार्यप्रणाली में सुधार करने और दिल के दौरे जैसी समस्याओं की संभावनाओं को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके प्रभावी प्रबंधन में जीवनशैली में परिवर्तन, दवाएं और नॉन-इंवैसिव उपचार शामिल हैं। अधिक गंभीर मामलों में इंवैसिव और शल्य चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है। ज्यादातर मामलों में इलाज से सामान्य जीवन को फिर से शुरू करना संभव है।

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