नई दिल्ली: वजन घटाने के लिए सर्जरी कभी-कभी प्राणघातक साबित हो सकती है, लेकिन इंट्रागैस्ट्रिक गुब्बारा वजन कम करने के इच्छुक लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प है। चिकित्सकों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। यहां चिकित्सकों ने कहा कि यदि इंट्रागैस्ट्रिक गुब्बारे (माइक्रो सर्जरी से पेट के अंदर गुब्बारा रखना) के बारे में जागरूकता बढ़ती है, तो यह मोटापे की शिकार महिलाओं के बढ़ते मामलों के लिए शल्य चिकित्सा की जगह एक समाधान बन सकता है। इंट्रागैस्ट्रिक गुब्बारे को सिलिकॉन गुब्बारे के नाम से भी जाना जाता है।
अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के मुख्य बेरियाट्रिक शल्य चिकित्सक आशीष भनोट ने कहा, ‘‘इंट्रागैस्ट्रिक गुब्बारा वजन घटाने में सहायक उपकरण है। जब इसे व्यापक जीवनशैली और नियंत्रित आहार के साथ अपनाया जाता है, तो यह काफी प्रभावी हो जाता है। सामान्य तौर पर यह तरीका शरीर के कुल वजन का 15 से 20 फीसदी तक कम करने में मदद करता है।’’
डॉक्टर भनोट ने कहा कि महिलाओं द्वाराबेरियाट्रिक सर्जरी की जगह सिलिकॉन गुब्बारा पसंद करने का एक अहम कारण इसमें न के बराबर चीर-फाड़ का होना है। जानकारों के अनुसार गैस्ट्रिक गुब्बारे को पेट में 6 से 12 महीने के लिए डाला जाता है। इसके लिए पहले छह महीने तक हर महीने चिकित्सक से मिलना होता है, इसके बाद दो महीनों में एक बार चिकित्सक के पास जाना पड़ता है-