लखनऊ, सौरभ मौर्या
दादी नानी के नुस्खों से लेकर आयुर्वेद तक गिलोय को कई बीमारियों की मुफीद कहा जाता रहा है, लेकिन किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के ताजा शोध में इस बावत एक नया खुलासा किया गया है। शोध की मानें तो गिलोय के अधिक इस्तेमाल से लिवर को नुकसान पहुंचता है। अधिक समय तक गिलोय का प्रयोग करने से लिवर डिकंपोज या क्षतिग्रस्त होने लगता है।
केजीएमयू के गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार पटवा के शोध में यह बात सामने आई है। जिसमें बताया गया है के गिलोय का अधिक इस्तोमल लिवर के लिए सुरक्षित नहीं है। अधिक समय तक गिलोय का प्रयोग करने से शरीर के मुख्य अंग लीवर को नुकसान होता है। लीवर का क्षरण(डिकम्पोज) होने लगता है। गिलोय के प्रयोग में अब आयुर्वेद और एलोपैथ आमने सामने आ गए हैं। कोरोना महामारी में आयुर्वेद चिकित्सकों ने गिलोय को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर लेने की सलाह दी थी। बड़ी संख्या में लोंगों ने गिलोय का सेवन भी किया था। तो अब एलोपैथ के चिकित्सकों ने इसका खंडन किया है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी के डॉ. अजय कुमार पटवा ने गिलोय पर यह शोध देश के नौ राज्यों के 13 केन्द्रों पर डेटा एकत्रित कर किया गया। राज्यों में हुआ और करीब 13 केन्द्रों पर डाटा एकत्र किया गया। विशेषज्ञों ने करीब 43 ऐसे मरीजों पर रिसर्च की जिन्होंने लगातार 46 दिनों तक गिलोय का सेवन किया था। डॉ. पटवा के मुताबिक जब उन सभी लोगों के लीवर की जांच की तो पाया उनके लीवर को बहुत नुकसान हुआ है। गिलोय का लगातार सेवन करने से लीवर काफी कमजोर होने लगा। कई मरीजों के लीवर में सूजन भी देखी गई। लोगों में लीवर के एंजाइम बढऩे से पीलिया होने की संभवना बन गयी। लीवर के टुकड़े लेकर पैथालॉजी में जब जांचें गए तो देखा कि लीवर को काफी नुकसान हुआ और वह डिकम्पोज होने लगा था। शोध के आधार पर डॉ. पटवा ने निष्कर्ष निकाला कि गिलोय का नियमित सेवन लीवर के लिए ठीक नहीं।