नई दिल्ली।
गर्भनिरोधक गोलियो का अधिक इस्तेमाल दिल कमजोर कर सकता है। 21 से 40 साल की उम्र तक कंट्रेसेप्टिव पिल्स इस्तेमाल करने वाली महिलाओं पर किए गए हालिया अध्ययन कहते हैं कि एक समय बाद यह दवाएं महिलाओं का दिल कमजोर होने का भी कारण बन सकती है। जिसके असर को देखते हुए विशेषज्ञों ने निर्धारित उम्र में ही गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन सुरक्षित बताया है।
फोर्टिस एस्कार्ट अस्पताल के कार्डियोवॉस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉ. जेड एस मेहरवाल कहते हैं कि गर्भ निरोधक गोलियो में एस्ट्रोजन हार्मोन पाया जाता है। लंबे समय तक गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं में एस्ट्रोजन के साथ ही रक्तचाप को बढ़ाने वाले कारक सुपरऑक्साइड की मात्रा भी बढ़ जाती है। जिसकी वजह से गुस्सा, माइगे्रन व उच्च रक्तचाप के लक्षण पहले सामने आते हैं। सुपरऑक्साइड कंपाउंड रक्त में ऑक्सीजन की एक ऐसी स्थिति है, जिससे रक्त में प्रोटीन व न्यूक्लियर एसिड की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है। दो से तीन साल तक गर्भनिरोधक गोलियो का इस्तेमाल हालांकि सही माना गया है, जबकि इससे अधिक सेवन पर शरीर में गोलियो की जरिए अधिक मात्रा में पहुंचा एस्ट्रोजन नकारात्मक असर डालने लगता है, यह नसों में रक्त का थक्का जमा कर थांब्रोसिस या पल्मोनेरी इंन्युरिजम (धमनियों में खून का जमाव) का कारण बन सकता है। 10 से 14 साल से अधिक उम्र तक पिल्स लेने वाली महिलाओं को विशेषज्ञों ने तुरंत जांच की सलाह दी है। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉ. ओपी यादव कहते हैं कि महिलाओं में मधुमेह, मोटापा, सिगरेट या फिर उच्च रक्तचाप की फैमिली हिस्ट्री है तो गर्भनिरोधक दवाएं लेने से पहले क्लीनिकल टेस्ट जरूरी है। हालांकि एस्ट्रोजन हार्मोन युक्त पिल्स की अपेक्षा प्रोजेस्टिन हार्मोन युक्त कंट्रेसेप्टिव को अधिक बेहतर बताया गया है। सरगंगाराम अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. आभा मंजूमदार कहती हैं कि यदि पांच से आठ साल तक गर्भ धारण की योजना नहीं है तो परिवार नियोजन के अन्य विकल्प भी अपनाएं जा सकते हैं।
क्या हैं प्रमुख आधार
-गर्भनिरोधक गोलियो में उपस्थित हार्मोन रक्तचाप बढ़ता है। जिसे सीवीटी (कार्डियोवॉस्कुलर एंड थेरोसिस) का खतरा बढ़ता है।
-रक्तचाप के अलावा सुपरऑक्साइड रक्त के लिपिड प्रोफाइल एनडीएल व एचडीएल को भी प्रभावित करता है।
-दवाओं के जरिए रक्त की तरलता कम होती हैं, जिससे ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा बढ़ सकता है।
-दिल पर दवाओं के नकारात्मक असर के लक्षण अधिक गुस्से व माइग्रेन के रूप में सामने आते हैं।
किस उम्र तक सुरक्षित
डॉ. आभा मंजूमदार कहती हैं कि महिलाएं मीनोपॉज (50-55)की स्थिति तक हालांकि गर्भनिरोधक गोलियो का इस्तेमाल कर सकती हैं। बावजूद इसके यदि परिवार में पहले बच्चे की तैयार की जा रही है तो 29 से 32 साल बेहतर समय है। इससे अधिक उम्र में गर्भनिरोध के लिए पिल्स का प्रयोग सही नहीं कहा जा सकता। इस स्थिति में अधिक उम्र में गर्भधारण नवजात में मानसिक विकृतियां व अन्य परेशानियों का कारण बन सकता है।