नई दिल्ली,
आदरणीय बंधु/भगिनी,
मैं वीरेंद्र के. बंसल (62 वर्ष), सी1/3डी/4, मॉडल टाउन, दिल्ली-9, निवासी आप सब से *कोरोना के विषय में अपने संस्मरण शेयर करना चाहता हूँ।*
देश में लॉक डाउन की घोषणा के बाद हमारे पूरे परिवार ने इसका ईमानदारी से पालन किया। घर से कोई भी व्यक्ति सिवाय रोजमर्रा की चीजों के जैसे दूध, सब्ज़ी, दाल, चावल इत्यादि के दो दिनों में एक बार के अलावा घर से बाहर नहीं गया। और इन सब चीजों को घर में लाने के बाद साफ सफाई के सभी नियमों का पालन किया।
मैं खुद विशेष तौर से एक बार भी घर के गेट से बाहर नहीं निकला। परंतु पता नहीं कहाँ से मुझे 26 अप्रैल को बुखार हो गया। शुरू में दो तीन दिन बुखार हल्का था हमारे डॉ सतीश मखीजा के कहने पर बुखार के सभी रूटीन टेस्ट कराये पर वो सब नेगेटिव निकले। डॉ साहिब से दुबारा संपर्क करने पर उन्होंने कोरोना टेस्ट के लिये बोला, हालांकि मन मानने को तैयार नहीं था क्योंकि मैंने लॉक डाउन का सही से पालन किया था, फिर भी 4.5.20 को *मैक्स पैथ से टेस्ट कराने पर 6.5.20 को कोरोना पोजिटिव निकला।*
तुरंत ही मैंने अपने आप को एक अलग कमरे में क्वारंटाइन कर सारे घर से अलग कर लिया। छोटे भाई (57वर्ष) व माताजी (89वर्ष) का टेस्ट लाल पैथ लैब से कराने पर कोरोना पोसिटिव निकला, वे भी क्वारंटाइन हो गए।
सरकारी संस्थाओं से लगातार संपर्क करने पर व प्रधानमंत्री जी को ट्वीट करने पर हिन्दू राव से एक डॉ 9 मई को अपनी टीम के साथ आये। और यह कह गए कि पूरा परिवार पोसिटिव निकलेगा तथा सब के टेस्ट 11.5.20 को करा दिए जाएंगे। पर अफसोस12 मई तक भी कुछ नहीं हुआ।
खैर हमारे पूरे परिवार ने कोरोना की इस बीमारी को एकजुट होकर 26 अप्रैल से ही इसे एक चैलेंज के रूप में लिया:-
सुबह से ही हमारा दिन भर का कार्यक्रम शुरू हो जाता, दिन में दो बार गर्म पानी के नमक डाल कर गरारे, दिन में 4 बार घर पर बना हुआ काढ़ा, दो बार आँवले का गर्म पानी, तीन बार स्टीम, दो बार एक चम्मच हल्दी का दूध, नींबू की गर्म शिकंजी,दो समय नाश्ता और दो बार हल्का खाना।*
जब भी बुखार 100 से ऊपर गया तो हमने डोलो 650 की एक गोली खाई और कई बार जब बुखार गोली लेने पर भी 102 से नीचे नहीं उतरा तो सर पर ठंडे पानी की पट्टी बुखार हल्का होने तक रखी।
दिन में दो बार प्राणायाम भी किया।
*ईश्वर की कृपा से मेरा बुखार पिछले तीन दिन से नॉर्मल चल रहा है बिना किसी गोली के। छोटे भाई व माता जी को भी पहले से आराम है।*
हमारे परिवार में 11 सदस्य हैं जिसमें दो छोटी बच्ची तीन व चार साल की भी हैं।
मेरी आप सब से करबद्ध प्रार्थना है कि कोरोना से घबराएं नहीं इसे एक वायरल बुखार के तौर पर लें। हमारे यहां किसी को भी सांस की कोई तकलीफ नहीं हुई। हल्की फुल्की खांसी या थोड़ा सा बलगम हुआ जो मौसम बदलने पर भी हो सकता है। जहां तक सम्भव हो सके अपने आप को कोरोना से बचाइये लेकिन यदि हो जाये तो हिम्मत से इसका सामना करें और इसको हरायें।
आपका
वीरेंद्र के. बंसल
सी 1/3डी/4, मॉडल टाउन,
दिल्ली 110009.