एचसीएफआई के प्रेसीडेंट और आईएमए के आॅनरेरी जनरल सेक्रेटी डॉ केके अग्रवाल ने बताया कि डेंगू और चिकनगुनिया के मामले इस महीने तक जारी रहेंगे। दहशत का माहौल पैदा करने की बजाए इस बारे में जागरूक होना ज़रूरी है। याद रखना चाहिए कि डेंगू केवल 1 प्रतिशत मामलों में ही जानलेवा होता है, जबकि ज़्यादातर मामलों में इसका इलाज ओपीडी में ही बिना हस्तपाल में भर्ती हुए किया जा सकता है। पूरी बाजू के कपड़े पहनने, मच्छर रोधी क्रीम का प्रयोग करने और घर के आसपास मच्छर ना पनपने देने से इससे बचा जा सकता है।
जब भी बीमारी का कोई मामले सामने आए तो यह करें—
आरडब्लयू फौरन कोलोनी में सभी को घर के आसपास मच्छर ना पनपने देने के लिए आगाह करे।
दोनों बीमारियों का इलाज कर रहे डॉक्टर को लोकल आईएमए प्रेसीडेंट और सेक्रेटरी को इसकी सूचना दें ताकि वह क्षेत्र के सभी डॉक्टरों को सूचना भेज सकें।
स्थानीय एमएलए या एमपी को भी डेंगू फैलने की जानकारी दे ताकि वह मच्छर की रोकथाम के लिए नगर निगम को काम पर लगा सकें।
डेंगू के सूत्र:
95 प्रतिशत लोगों को सामान्य डेंगू होता है, जो के गंभीर डेंगू जितना खतरनाक नहीं होता।
साधारण डेंगू बुखार में कैप्लरी लीकेज नहीं होता और मरीज़ को केवल 100 एमएल प्रति घंटा तरल आहार की आवश्यकता होती है और उसे लोकल डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके साथ ही मरीज़ को जांच के समय आधा लीटर पानी पीना चाहिए।
डेंगू के जिन मरीज़ों को उल्टी हो रही हो केवल उन्हें ही ड्रिप लगाने की ज़रूरत होती है।
गंभीर डेंगू उन्हें होता है जिनमें कैप्लरी लीकेज और इंट्रा वस्कुलर डीहाईड्रेशन हो। उनमें तेज़ी से प्लेटलेट्स की संख्या कम होती है और हेमाटोक्रिट का स्तर बढ़ जाता है।
उलटी, चक्कर आना, तीव्र थकान और आलस इसके प्रमुख लक्ष्ण हैं। इसके अलावा ठीक ना होने वाला पेट दर्द, मानसिक बेचैनी और भ्रम आदि हो सकते हैं। इन लोगों की करीबी निगरानी रखनी होती है।
इन मरीज़ों को करीबी निगरानी में रखने के साथ ही तुरंत 1500 एमएल तरल लेने की सलाह दी जाती है।
अगर मुंह से तरल ना ले सकें तो ड्रिप लगाना चाहिए।
चिकनगुनिया के सूत्र:
चिकनगुनिया जानलेवा बुखार नहीं है।
मच्छर के काटने के बाद 3 से 7 दिनों तक बुखार और जोड़ों के दर्द आदि इसके लक्ष्ण नज़र आने लगते हैं।
स्किन रैड, जोड़ों में दर्द और तेज़ बुखार आम लक्ष्ण हैं।
ज़्यादातर मरीज़ सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
चिकनगुनिया की अभी कोई वैक्सीन नहीं है।
मरीज़ को पूरी तरह से आराम और तरल आहार लेना चाहिए।
एस्प्रिन और ऐसी अन्य दवाएं तब तक नहीं लेनी चाहिए जब तक डेंगू ना होने का प्रमाण न मिल जाए। ताकि ब्लीडिंग और होने के खतरो को टाला जा सके क्योंकि दोनों बीमारियों के लक्ष्ण एक जैसे हैं।
जोड़ों का दर्द एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाता है।
20 प्रतिशत मामलों में जोड़ों का दर्द कई सप्ताह तक रह सकता है और 10 प्रतिरशत मामलों में महीनों तक।
10 प्रतिशत मामलों में सूजन खत्म हो जाती है दर्द कम हो जाता है लेकिन थोड़ी सी भी बीमारी से फिर से होने लगता है।
हर बार वही जोड़ों में सूजन आती है, बुख़ार कम होने के एक से दो सप्ताह बाद तक यह रहते हैं।
कोल्ड कम्प्रैशन से दर्द कम किया जा सकता है।
कम वज़न उठाने वाले व्यायाम किए जा सकते हैं जैसे कि धीरे से सिर का पिछला हिस्सा छूना। एड़ियों का धीमा व्यायाम, पुली वाले व्यायाम और हल्के योग आसन आदि किए जा सकते हैं।