नई दिल्ली, सात जून
दिल्ली में विभिन्न प्राकृतिक, मानवजनित और सड़क दुर्घटना आदि आपदाओं की संभावना अधिक होती है, भूकंप, और जलभराव की बात भी करें तो दिल्ली में मानव जनित आपदाएं जैसे चाकू से हमला, गोली, तनाव, दमघुटना आदि की संभावना अधिक रहती हैं। ऐसी आपदाओं में शुरूआत में दी गई सहायता से अधिकांश लोगों की जान बचाई जा सकती है। पत्रकारों को इस संदर्भ में प्रशिक्षित करना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि मौके पर पुलिस से भी पहले पत्रकार ही पहुंचते हैं, इसी को लेकर इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प में आपदा प्रबंधन और लाइफ सेफ्टी विषय पर पत्रकारों के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें 35 से अधिक पत्रकार शामिल हुए।
पत्रकारों को प्रशिक्षित करने के लिए डॉ. अंजलि क्वात्रा (चेयरपर्सन, फिलांथ्रोफे आपदा प्रबंधन और लाइफ सेविंग वर्कशॉप शिक्षण में पत्रकारों, फोटोग्राफर और मीडिया हाउस के प्रबंधकों को शामिल किया गया। डा. अंजलि क्वात्रा ने बताया कि यदि लोगों को लाइफ सेविंग और आपदा प्रबंधन के बारे में पहले से प्रशिक्षित किया जाता, आपदा की स्थिति में अधिकांश जीवन को बचाया जा सकता है। पत्रकार अपने व्यवसाय की वजह से कई तरह की प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं के प्रभाव में आने के बेहद करीब होते हैं, क्योंकि उन्हें विषम परिस्थतियों और जगहों पर काम करना होता है। पत्रकार ही सबसे अधिक मार्ग दुर्घटना, शारीरिक क्षति, हिंसा आदि कई तरह के खतरों का सामना अधिक करते हैं, इसके साथ ही उन्हें काम संबंधी भी कई तरह की आपात परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें तनाव, अनिद्रा, आदि कई तरह की आपदाओं से गुजरना पड़ता है। इन सभी परिस्थितियों के समाधान के लिए फिलांथ्रोफे द्वारा पत्रकार बंधुओं के लिए लाइफ सेविंग और आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आपदा प्रबंधक डॉ. अंजलि क्वात्रा के इस प्रशिक्षण वर्कशाप में जीवन बचाने और आपदा से होने वाली क्षति को कम करने की ट्रेनिंग दी जाती है। डॉ. अंजलि ने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण के द्वारा जीवन को होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है। यह प्राथमिक उपचार के दायरे को बढ़ाएगा, क्षति के समय उपचार की समयावधि तक जान को सुरक्षित रखेगा, सबसे अहम इस तरह के प्रशिक्षण से आपात स्थिति में होने वाली क्षति का कम किया जा सकता है।
आपदा प्रबंधन के प्रशिक्षण के बाद वह किसी भी तरह से लोगों की मदद करने में सक्षम होगें, इसी वजह से यह कहा जाता है कि आपदा से निपटने में होने वाली खर्च की अपेक्षा प्रशिक्षण के जरिए लोगों को जागरूक करने का खर्च कम होता है।
डॉ. अंजलि ने बताया कि हमारे यानि फिलांथ्रोफे द्वारा तैयार की गई पाठन सामग्री बेहद सरल और सामान्य भाषा में रखी गई है। निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए न सिर्फ अपनी बल्कि लोगों की भी जान को सुरक्षित किया जा सकता है, घर में ऐसी किसी आपादा के समय भी वह अपनों की मदद कर सकेंगे।