एंबुलेंस से ही इलाज शुरू, 19 पर्सेट मरीजो की बची जान

नई दिल्ली: टेक्नोलॉजी के सही यूज से हार्ट अटैक के 19 पर्सेंट मरीजों की जान बचाने में सफलता मिली है। आईसीएमआर द्वारा फंडेड इसका पॉयलेट प्रोजेक्ट तमिलनाडु में सफल रही है। ऐसे देश में जहां अभी भी हार्ट अटैक के मरीजों को केवल अस्पताल तक पहुंचने में 900 मिनट तक का समय लग जाता है, जबकि गोल्ड आवर केवल 120 से 180 मिनट है। ऐसे में यह सिस्टम मरीजों की जान बचाने के लिए काफी कारगर साबित हो कसता है।

स्टेमी इंडिया ने यह मॉडल बनाया है। स्टेमी इंडिया के डायरेक्टर डॉक्टर थॉमस अलेक्जेंडर ने कहा कि इस स्टडी में कुल 2420 मरीजों को शामिल किया गया था। इसमें से चार बड़े और 35 छोटे अस्पतालों में आने वाले मरीजों पर स्टडी की। इसे दो ग्रुप में बांटा गया था, एक ग्रुप में जो लोग अपने अनुसार इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे और दूसरे ग्रुप को स्टेमी इंडिया की मदद से कम से कम समय में अस्पताल पहुंचाया गया और रास्ते में उनका इलाज हुआ और उनकी ईसीजी जैसी जांच करके डॉक्टर को रिपोर्ट भेज दी गई। मरीज अस्पताल पहुंचते ही इलाज शुरू हो गया। इस वजह से 19 पर्सेंट मरीजों को जान बचाने में हम सफल रहे। अब इस मॉडल को बाकी राज्यों में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

डॉक्टर ने कहा कि अब देश के अलग अलग 14 राज्य इस अपने अपने राज्यों में इसे अपनाने की तैयारी में हैं, लेकिन दिल्ली में फिलहाल यह सिस्टम संभव नहीं लग रहा है, क्योंकि दिल्ली की ट्रैफिक सिस्टम और राजधानी में एंबुलेंस का कमी इसका सबसे बड़ा बाधक बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले टेक्नोलॉजी की जरूरत है, जो एंबुलेंस में लगाया जाता है। इसके लिए डेडिकेटेड एंबुलेंस सिस्टम जरूरी है, तमिलनाडु में 108 नंबर से जुड़े 1400 एंबुलेंस है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में एंबुलेंस सिस्टम कमजोर है। दूसरा तमिलनाडु में सभी मरीजों का इंश्योंरेंस है, इसलिए किसी भी मरीज को कहीं भी हॉस्पिटल में लेकर जाने में कोई दिक्कत नहीं है। तीसरा दिल्ली की
ट्रैफिक सिस्टम भी इसे लागू करने में दिक्कत कर सकती है। वहीं इस मामले में आईसीएमआर की डॉक्टर मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि दिल्ली के लिए दूसरे मॉडल पर भी काम करना पड़ेगा तो किया जाएगा।

डॉक्टर ए एस मुलासाररी ने बताया कि इस मॉडल से डॉक्टर, अस्पताल, एंबुलेंस सब एक दूसरे से कनेक्ट होता है। जैसे ही मरीज अस्पताल पहुंचता है तो इसकी सूचना सबसे नियरेस्ट एंबुलेंस को चला जाता है। अस्पताल अगर छोटा है और वहां इलाज नहीं है तो एंबुलेंस वहां पहुंचता है और मरीज को अपने एंबुलेंस में लता है और तुरंत जरूरी इलाज शुरू कर देता है, इसी दरम्यान में ईसीजी करके डॉक्टर को भेज देता है। जिसे डॉक्टर अपने मोबाइल पर देख सकता है और मरीज के अस्पताल पहुंचने के तुरंत बाद इलाज शुरू हो
जाता है। इस बारे में डॉक्टर मीनाक्षी ने कहा कि अपने देश में हार्ट अटैक के बाद इलाज में देरी 900 मिनट से भी ज्यादा है, इस पर डेटा भी तैयार किया जा रहा है, यहीं नहीं कई अस्पतालों में मरीज के अस्पताल पहुंचने के बाद भी 200 मिनट से भी ज्यादा समय इलाज शुरू करने में लग जाता है।

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