एम्स में 20 साल बाद बढ़ सकते हैं यूजर चार्जेज

देश के सबसे बढ़े संस्थान में इलाज पर होने वाला खर्च बढ़ सकता है। इस बावत वित्त मंत्रालय ने संस्थान से यूजर चार्जेज के वर्तमान शुल्क पर विचार करने के लिए कहा है। हालांकि संस्थान ने अभी शुल्क बढ़ोत्तरी की स्वीकृति नहीं दी है। संस्थान के फैकल्टी सदस्यों ने प्रस्ताव का विरोध किया है। इससे पहले वर्ष 1996 में एम्स के यूजर चार्जेज बढ़ाए गए थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार संस्थान के उपनिदेशक (डीडीए) वी श्रीनिवास ने इस माह प्रस्तावित आम बजट में नॉन प्लानिंग कार्य के लिए संस्थान के कुल बजट से 300 करोड़ रुपए अतिरिक्त धन आवंटित करने की मांग की थी। संस्थान की जरूरतों पर ध्यान देते हुए वित्त मंत्रालय ने इस बात पर विचार किया गया कि एम्स में कुल जरूरत और खर्च को देखते हुए आवंटित बजट की धनराशि कम है। जिसको देखते हुए मंत्रालय ने संस्थान से यूजर चार्जेज को बढ़ाने की सिफारिश की है। हाल ही में संस्थान की डीडीए के साथ हुई बैठक में भी शुल्क बढ़ाने के सुझाव पर चर्चा की गई। संस्थान रेडियोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, खून सैंपल की जांच, प्राइवेट कमरे के किराया आदि मिलाकर हर साल 101 करोड़ रुपए की आमदनी करता है। संस्थान के डीडीए वी श्रीनिवास ने बताया कि अभी इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक की सहमति के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

इससे पहले भी हुई कोशिश
वर्ष 2005 और 2010 में भी एम्स को आय उत्सर्जित करने वाला संस्थान बनाने का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन फैकल्टी, चिकित्सक और सांसदों के विरोध के विरोध के बाद प्रस्ताव को वापस ले लिया गया। एक बार फिर वर्ष 2015 में संस्थान की स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी में यूजर चार्जेज में बीस से 30 प्रतिशत बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा गया। जिसे खारिज कर दिया गया। मालूम हो कि संस्थान में यूजर चार्जेज शुल्क दस से 25 रुपए तक है।

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