नई दिल्ली,
जाको राखे साइयां, मार सके न कोई, लॉकडाउन के मुश्किल समय में जबकि सभी राज्यों के बॉर्डर सील हैं। हिमाचल प्रदेश से गुरूग्राम पहुंचे तीन दिन के नवजात को डॉक्टर्स ने सर्जरी कर नया जीवन दिया। इसके लिए हिमाचल प्रदेश से गुरूग्राम तक की 320 किलोमीटर की दूरी तय कर एंबुलेंस द्वारा तीन घंटे में तय की गई। बच्चे को दिल की हाईपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम बीमारी थी। इसमें शिशु के दिल का बायां भाग अविकसित होता है जो शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त का संचार करता है। बायां भाग अविकसित होने की वजह से शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त का संचार नहीं हो पा रहा था।
आर्टिमस अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के हेड डॉ. असीम रंजन श्रीवास्तव ने बताया कि जब बच्चा अस्पताल पहुंचा तो उसकी हृदयगति बहुत धीमी हो गई थी, वह जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा था। दिल का बायां हिस्सा विकसित न होने की वजह से पीडीए (पेटेंट डक्टस आर्टिरियोसस)लगभग बंद हो गया था, जिसकी वजह से किडनी फेल हो चुकी थी। इस स्थिति को बदलने के लिए हृदय की अविकसित धमनी को खोलना बहुत जरूरी था, इसके लिए दस घंटे चली मैराथन सर्जरी में नोरवुड ऑपरेशन के जरिए हृदय की महाधमनी (दिल की सबसे बड़ी धमनी) का दोबारा निर्माण किया गया। इस नई महाधमनी की वजह से शरीर के सभी हिस्से में रक्त का दोबारा संचार संभव हो पाया। सर्जरी के बाद बच्चे के पिता ने कहा कि जन्म के बाद ही उसकी सांस उखड़ने लगी थी, हमने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन आर्टिमस अस्पताल ने बच्चे को नया जीवन दिया।
क्या होती है नोरवुड सर्जरी
हृदय के दाहिने हिस्से (पल्मोनरी धमनी) से निकलने वाली रक्त वाहिकाएं विभाजित होती हैं, पल्मोनरी धमनी और इसके पल्मोनरी वाल्व छोटी महाधमनी और छोटे महाधमनी वाल्व से जुड़े होते हैं। इसी जगह एक नई और बड़ी महाधमनी बनाने के लिए पैच लगाया गया। जिसके बाद हृदय से निकलने वाला सारा रक्त पल्मेनरी वाल्व और नए महाधमनी के माध्यम से शरीर में चला गया। इसके बाद एक ट्यूट के आकार का ग्राफ्ट जिसे सानो शंट कहा जाता है तैयार किया गया, जिसे पल्मोनरी धमनी को दाएं वेंट्रिकल्स से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया गया। यह शंट फेफड़ों को रक्त की आपूर्ति प्रदान करता है। मालूम हो कि पहले फेफड़ों को रक्त एक पल्मोनरी धमनी द्वारा आपूर्ति की गई, जो पहले से ही महाधमनी को फिर से बनाने के लिए उपयोग किया गया।