नई दिल्ली,
देश में कोरोना पॉजिटिव कंफर्म मरीजों का आंकड़ा चार हजार के पार हो गया है। 22 मार्च को पहली बार जब जनता कंफर्यू लगाया था, उस समय कोरोना मरीजों की संख्या मात्र 403 थी, 22 मरीजों की मृत्यु के साथ कोरोना पॉजिटिव मरीजों के ठीक होने का आंकड़ा 22 मार्च तक मात्र 25 था। मात्र बीते 15 दिनों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर चार हजार के पार हो गई। जबकि मरने वालों का आंकड़ा सौ से अधिक हो गया है। जबकि 329 मरीज बीमारी की वजह से अब तक ठीक हो चुके हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से संक्रमण के फैलाव को रोका जा सका, वरना स्थिति अधिक भयावह होती। बीते एक हफ्ते में आईसीएमआर ने ऐसे कोरोना पॉजिटिव मरीज भी देखे थे जिनकी हिस्ट्री टै्रक नहीं हो पाई।
सफदरजंग अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि भारत में अभी कम्यूनिटी फैलाव नहीं हुआ, लेकिन सरकार हर स्थिति के लिए खुद को तैयार कर रहीहै। कम्यूनिटी फैलाव की किसी भी संभावना को तलाशने के लिए आईसीएमआर ने रैंडम सैंपल टेस्टिंग शुरू की है। इसी क्रम में छह अप्रैल को विभिन्न निजी लैब की सहायता से 96264 सैंपल की जांच की, यह सभी सैंपल रैंडम साधारण खांसी जुकाम व बुखार के लिए गए। जिसमें 3178 लोगों में साधारण इंफ्लूएंजा की पुष्टि की गई। जांच के लिए 136 सरकारी और 56 निजी लैब में सैंपल जांच के लिए भेजे गए। निजी लैब की रोजाना 18000 तक के सैंपल जांच करने की क्षमता है। सभी सैंपल की आरटीपीसीआर जांच की गई। जांच के लिए आईसीएमआर बेहतर गुणवत्ता की जांच मशीनें प्रयोग कर रही है। कोविड19 बचाव रणनीति के तहत मलेरिया के इलाज में प्रयोग की जाने वाली हाइड्रेक्लोक्वीन दवा को बचाव के लिए कोरोना के इलाज में लगे मेडिकल स्टॉफ के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
भारतीय आयुर्विज्ञान शोध संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार हालांकि देश में अभी कम्यूनिटी फैलाव या स्टेज तीन की पुष्टि नहीं हुई है, बावजूद इसके आईसीएमआर संक्रमण की गंभीर स्थिति के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है।
क्या है कम्यूनिटी ट्रांसमिशन
कम्यूनिटी फैलाव का मतबल संक्रमण के ऐसे फैलाव से जबकि पॉजिटिव मरीजों की किसी तरह की हिस्ट्री स्पष्ट न हो, ऐसे में संक्रमण आसानी से एक संक्रमित मरीज से दूसरे संक्रमित मरीज को संक्रमण दे सकता है। अब तक की स्थिति में कोरोना संक्रमण की हिस्ट्री ऐसी देखी जा रही है, जिसमें या तो मरीज पॉजिटिव मरीजो के संपर्क मे रहे या फिर उनके समुदाय मे कोई लंबे समय तक बिना लक्षण के समूह में रहा। आईसीएमआर इसलिए अब साधारण फ्लू जैसे लक्षण के सैंपल भी जांच में शामिल कर रही है। इसके लिए रैंडम या बिना किसी हिस्ट्री के सघन बस्तियों से सैंपल उठाए जाएगें।