नई दिल्ली
अंग प्रत्योपरण को बढ़ावा देने के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चिकित्सकों की टीम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट में अभी तक किडनी का प्रत्यारोपण होता है, जबकि लिवर प्रत्यारोपण के लिए लाइव ब्रेन डेड मरीज को एम्स भेजना पड़ता है, लेकिन प्रशिक्षित मेडिकल और पैरामेडिकल के बाद अस्पताल में लिवर प्रत्यारोपण संभव हो सकेग। मस्तिष्क मृत व्यक्ति से आठ प्रमुख अंगों को जरूरत मंदों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है, पहली बार अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट ओपीडी बनाई जाएगी।
राममनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और निदेशक डॉ. वीके तिवारी ने बताया कि अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने की दिशा में हर संभव प्रयास किया जा रहा है, एक साल के अंदर अस्पताल में ही लिवर बदला जा सकेगा, इसके लिए चार सर्जन, चार एनीथिसिया और चार नर्सो के स्टाफ को लिवर इंस्टीट्यूट ऑफ बायलरी साइंस से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षित चिकित्सकों की टीम की मदद से संस्थान में ही लिवर को भी बदला जा सकेगा, अभी इसके लिए ब्रेन डेथ या लाइव लिवर प्रत्यारोपण के लिए मरीज को एम्स भेजना पड़ता है। उन्होंने बताया कि दिल और फेफड़े को चार घंटे के अंतराल में प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जबकि किडनी और लिवर को आठ घंटे के अंतराल में बदला जा सकता है।
22 साल के युवक से तीन को मिली नई जिंदगी
राममनोहर लोहिया अस्पताल में 22 साल के एक मस्तिष्क मृत युवक जाते जाते तीन लोगों को नई जिंदगी दे गया। सड़क दुर्घटना के शिकार मरीज को शनिवार देर रात अस्पताल में लाया गया, बहुत कोशिश के बाद भी मरीज को बचाया नहीं जा सका, और न्यूरासर्जन की टीम ने उसे ब्रेन डेड या मस्तिष्क मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजनों की सहमति के बाद मृतक की एक किडनी को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में, दूसरी किडनी और लिवर को एम्स भेज दिया गया। अस्पताल का यह मस्तिष्क मृत किडनी प्रत्यारोपण का 12वां मरीज था, जबकि अब तक कुल 248 मरीजों को किडनी बदली जा चुकी हैं, जिसमें लाइव डोनर भी शामिल हैं। अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची 103 है।