नई दिल्ली: खून के रिश्ते में शादी नहीं करें, क्योंकि मेडिकली यह साबित हो गया है कि खून के रिश्ते में शादी से होने वाले बच्चे में बीमारी का ज्यादा खतरा है। एम्स के डॉक्टर के अनुसार खून के रिश्ते में शादी से होेने वाले बच्चे में जेनेटिक बीमारी पहुंचने का खतरा ज्याद रहता है। एम्स के जेनेटिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स का कहना है कि देश में 33 में से एक बच्चा बर्थ डिफेक्ट्स के साथ जन्म ले रहा हैंं। इसकी मुख्य वजह महिला में इन्फेक्शन, उनकी अपनी पुरानी बीमारी, प्रेग्नेंसी के दौरान दवा लेने और खून के रिश्ते में शादी करना है।लेकिन, 70 पर्सेंट मामले में इससे बचा जा सकता है। जरूरत है कि पैरंट्स जागरूक हों और इलाज करने वाले डॉक्टर समय पर जरूरी जांच करें।
एम्स में हर साल 4 से 5 हजार ऐसे डिफेक्ट वाले बच्चों को रेफर किया जाता है। एम्स के पीडिएट्रिक्स डिपार्टमेंट के जेनेटिक डिविजन की डॉक्टर मधुलिका काबरा ने कहा कि बच्चे में जन्म से दो तरह की दिक्कतें, स्ट्रक्चरल और फंक्शनल डिफॉर्मिटी हो सकती है। स्ट्रक्चरल में किसी का तालु कटा होता है, हार्ट में छेद हो सकता है, पीठ में फोड़ा हो सकता है। दूसरी ओर फंक्शनल डिफॉर्मिटी में मेटाबॉलिक फंक्शन पर असर होता है। इसमें थैलीसीमिया, मानसिक विकार, मंद बुद्धि जैसी बीमारी हो सकती है।
70% तक टाली जा सकती है डिफॉर्मिटी: डॉक्टर नीरजा गुप्ता ने कहा कि फॉलिक एसिड लेने से बच्चे में जन्मजात डिफेक्ट्स को कम किया जा सकता है। अगर आप भी पैरंट्स बनने की तैयारी कर रहे हैं, तो प्रेग्नेंसी से दो महीने पहले और तीन महीने बाद तक फॉलिक एसिड का रेगुलर इस्तेमाल करें, ताकि आपका बच्चा हेल्दी पैदा हो। लेकिन, सचाई यह है कि पूरे देश में पैरंट्स में जागरुकता की कमी है। यहां तक कि रूरल एरिया में डॉक्टरों को भी इस मामले की कम जानकारी है। इसकी वजह से हर साल देश में दो से तीन पर्सेंट बच्चे
डिफॉर्मिटी के साथ पैदा होते हैं। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामले को 70 पर्सेंट तक टाला जा सकता है। डॉक्टर ने कहा कि अगर कोई दौरे की, हार्ट, कैंसर जैसी बीमारी की दवा खा रहा है, तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इन बीमारियों की दवाएं भी जेनेटिक बीमारी के कारण बन सकती हैं।