नई दिल्ली,
क्या आप भी डॉक्टर द्वारा बताए गए बुरे कोलेस्ट्राल की शिकायत से घबरा गए हैं और कोलेस्ट्राल कम करने की दो से तीन गोलियों को आपके जीवन में न चाहकर भी शामिल कर दिया गया है तो एक बार अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन की कोलेस्ट्राल से जुड़ी ताजा जानकारी पर नजर डाल लें। एसोसिएश के गहन शोध के बाद यूएस सरकार ने अब यह बात स्वीकार कर ली है कि अच्छे या बुरे कोलेस्ट्राल नाम की कोई स्वास्थ्य समस्या होती ही नहीं है, वर्ष 1970 के बाद पहली बार अमेरिका ने कोलेस्ट्राल को न्यूट्रिएंड ऑफ कंसर्न की श्रेणी से बाहर कर दिया है।
यह खबर उन तमाम भारतीयों के लिए भी मायने रखती है जिन्हें अच्छा या बुरे कोलेस्ट्राल की जानकारी लेकर महंगी दवाएं दी जाती है। यूएस के एग्रिकल्चर विभाग द्वारा प्रत्येक पांच साल में डायटरी गाइडलाइन जारी की जाती है। इससे पहले वर्ष 2015 में जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार यह कहा गया था कि लोगों को अपने नियमित खानपान में 300 एमजी प्रतिदिन से अधिक कोलेस्ट्राल का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन कोलेस्ट्राल संबंधित साक्ष्यों को देखते हुए अमेरिका वर्ष 2015 की इस गाइडलाइन को अमेरिका अब आगे लागू नहीं करना चाहता। अमेरिका हार्ट एसोसिएशन और अमेरिका कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार ब्लड कोलेस्ट्राल और डायट्री कोलेस्ट्राल के बीच हमें किसी तरह का सीधा संबंध नहीं देखने को मिला है। इसलिए डायट्री गाइडलाइन एडवाजरी कमेटी अब लोगों को अंडा, मक्खन व दूध से बनी चीजों को खाने के लिए मानकों को लागू नहीं करेगी, इसके विपरीत कमेटी इस बात के लिए जरूर लोगों को जागरूक करेगी कि कोलेस्ट्राल नहीं बल्कि चीनी के सेवन पर नजर रखनी चाहिए जो सेहत के लिए घातक हो सकती है। अमेरिका के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्टीवन नीसेन ने बताया कि हम लंबे समय एक गलत जानकारी का पालन कर रहे थे, अच्छा हुआ अब हमारे पास सही जानकारी साक्ष्यों के साथ उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यदि हम खाने में अच्छी मात्रा में कोलेस्ट्राल युक्त भोजन का सेवन नहीं करेगें तो इससे हमारी पाचन क्रिया प्रभावित होती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को कम कर सकती है।
क्या है कोलेस्ट्राल का सच
हमारे शरीर के लिवर में कोलेस्ट्राल का उत्सर्जन होता है या फिर यूं समझा जाए कि लिवर में कोलेस्ट्राल बनता है, दिमाग की नर्व सेल्स को काम करने के लिए कोलेस्ट्राल की बहुत अधिक आवश्यकता होती है, कोलेस्ट्राल हमारे शरीर के सभी तरह के हार्मोन्स जैसे एस्ट्रोजन, टेस्टोटेरोन, कॉटिकोस्टेरॉयड आदि को बनाने के लिए अहम होता है। शरीर में बेहतर मात्रा में कोलेस्ट्राल के होने का मतलब है कि हमारा लिवर बेहतर तरीके से काम कर रहा है और हम स्वस्थ हैंं। स्वस्थ्य मेटाबॉलिज्म के लिए हमारे शरीर को रोजाना 950 एमजी कोलेस्ट्राल की जरूरत होती है और इसे बनाने में लिवर अहम होता है। कुल जरूरत के अनुसार केवल 15 प्रतिशत कोलेस्ट्राल हमें हमारे खाने से मिलता है।
बुरा कोलेस्ट्राल कुछ नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि बुरे कोलेस्ट्राल नाम की कोई चीज होती ही नहीं है, इसे फार्मा कंपनियों का एक नेक्सेस कहा जा सकता है। कोलेस्ट्राल का सीधा संबंधी दिल की बीमारी या हृदयघात से भी नहीं है। फार्मा कंपनियों ने कोलेस्ट्राल की दवा के नाम पर बीते पचास सालों में दो ट्रिलियन डॉलर कमाएं और शारीरिक रूप से स्वस्थ्य लोगों को कोलेस्ट्राल की दवाएं दी गई। कोलेस्ट्राल धमनियों में ब्लाकेज का भी जिम्मेदार नहीं है।