नई दिल्ली,
चीन में मंगलवार के हंतावायरस से एक मरीज की मौत हो गई, जबकि 32 मरीज इस वायरस के संदिग्ध बताए जा रहे हैं। अभी कोरोना का खतरा कम भी नहीं हुआ था, चीन से एक और वायरस की खबर ने लोगों की चिंता बढ़ा दी। हालांकि भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को हंतावायरस से डरने की जरूरत नहीं है। सभी अंतराष्ट्रीय विमान सेवाएं रद्द होने की वजह से इसका फैलाव अधिक नहीं हो पाएगा। हंतावायरस हवा से नहीं फैलता है, लेकिन संक्रमित कृतंक (रोडेंट) श्रेणी के जानवर जैसे गिलहरी, चूहे, नेवला, खरगोश आदि के लार, यूरीन या सलाइवा के संपर्क में आने से यह मनुष्य को संक्रमित कर सकता है।
इंडियन मेडिकल काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि हंतावायरस के बारे में अब तक मौजूद जानकारी के अनुसार मनुष्य को यह दो तरह से संक्रमित करता है, पहला हंतावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम और दूसरा कार्डियोपल्मोनरी सिंड्रोम, इसका सीधा मतलब है कि वायरस का असर दिल और फेफड़ों पर तेजी से पड़ता है। संक्रमण के फेफड़ों पर इसके असर शुरूआती लक्षण बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, पेट में हल्का दर्द सिरदर्द और आलस्य के रूप में देखा जाता है। धीरे धीरे इसका असर सांस लेने में तकलीफ के रूप में बढ़ने लगता है, जबकि दिल को प्रभावित करते हुए संक्रमण में तेजी से ब्लड प्रेशर कम होने लगता है, जिससे बाद हृदयघात और किडनी फेल होने की संभावना भी रहती है। यह संक्रमण एक संक्रमित मनुष्य से दूसरे मरीज तक आसानी से शरीर के द्रव्य जैसे खांसी बलगम और छींक की ड्राप लेट से पहुंच सकते हैं। प्राथमिक स्तर पर हंतावायरस को नियंत्रित कर इसे अधिक लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सकता है।
डॉ.केके अग्रवाल ने बताया कि हालांकि अभी इसके भारत में प्रवेश की संभावना नहीं है क्योंकि कोरोना महामारी के चलते सभी अंतराष्ट्रीय उड़ाने रद्द कर दी गई हैं। चीन में हर साल 16 हजार से एक लाख तक मरीज हर साल हंतावायरस के देखे जाते हैं। जबकि हर साल 800 से एक हजार मरीज हंतावायरस के देखे जाते हैं। अमेरिका और यूरोप में भी हंता वायरस के मरीज हर साल देखे जाते हैं। वायरस से मरने वालों की संख्या कोरोना जितनी भयावह नहीं है।