देश में बदलती लाइफ स्टाइल की वजह से महिलाओं में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के मामले में तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि हालिये आंकड़ों से यह साफ हो रहा है कि कम उम्र में भी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के मरीज बन रही हैं। एक दशक पहले 45 से 55 साल की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता था, अब वह दस साल पहले होने लगा है। दुनिया भर के ब्रेस्ट कैंसर मरीजों में 17 पर्सेंट भारतीय महिलाएं हैं।
एम्स के पूर्व कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर पी के जुल्का का कहना है कि देर से शादी और देर से बच्चे पैदा होने और ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराने की वजह से न केवल महिलाओं में मोटापा बढ़ रहा है, बल्कि ब्रेस्ट कैंसर भी हो रहा है। डॉक्टर जुल्का का कहना है कि 10 साल पहले दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बंगलुरु में स्टडी कराई थी जिसमें से प्रत्येक एक लाख में से दस को यह बीमारी थी, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है। अगर इस बीमारी का पता शुरुआती स्टेज में चल जाए तो मरीज के बचने की संभावना 85 प्रतिशत से भी अधिक है, लेकिन अगर देर से पता चले तो यह जानलेवा हो जाता है।
डॉक्टर का कहना है कि देश में सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर के मरीज हैं और महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण है। सर्वाइकल कैंसर के कारणों में कम उम्र में फीजिकल रिलेशन बनना, एक से अधिक लोगों के साथ रिलेशन बनाना, इम्यून सिस्टम कमजोर होना और स्मोकिंग इसकी मुख्य कारण हैं। डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं को 22 साल की उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग करानी चाहिए। सर्वाइकल के लिए महिलाओं को पैप जांच करानी चाहिए और ब्रेस्ट कैंसर के लिए मेमोग्राम टेस्ट कराते रहना चाहिए।