नई दिल्ली: भारत में जीका वायरस की पुष्टि हो चुकी है, चिंता की बात यह है कि डेंगू वाला मच्छर (एडिस मच्छर) से ही जीका वायरस भी फैलता है। जीका वायरस के भारत में पुष्टि से डॉक्टर भी स कते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि न केवल आम लोगों को बल्कि सरकार को भी बचाव पर फोकस करना चाहिए ताकि यह वायरस आम लोगों तक नहीं फैले। एक बार वातवारण में यह वायरस फैल गया तो इसे रोक पाना आसान नहीं होगा। डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस से रोक पाने में हम अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं, ऐसे में एक और वायरस के आने से स्थिति और बिगड़ सकती है। हालांकि आईएमए के प्रेसिडेंट डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा कि डरने कीबात नहीं है, यह मामला जनवरी का है, यह वायरस ज्यादा दिनों तक नहीं रहता है और इसमें मौत की संभावना कम है। 99 पर्सेंट इस वायरस से ठीक हो जाता है। लेकिन जिन जिन महिलाओं में डेंगू जैसे लक्षण हो और डेंगू टेस्ट निगेटिव आता है तो उन्हें जीका का भी टेस्ट कराना चाहिए।
वायरस एक्सपर्ट डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने कहा कि यह वायरस डेंगू के एडिस मच्छर से फैलता है। इसलिए हमारे लिए सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। जिन लोगों में यह वायरस पाया गया है, उन्हें आइसोलेट करके रखें। डॉक्टर ने कहा कि अभी तीन की पहचान हुई है, लेकिन और भी ऐसे लोग हो सकते हैं, इसलिए गुजरात में अभी इसे गंभीरता से लेना चाहिए और लोगों पर नजर रखनी चाहिए। डॉक्टर सैनी ने कहा कि अभी यह वायरस देशवासियों के लिए नया वायरस है, इसलिए इसकी बॉडी में तुरंत ऐंटी-बॉडी भी नहीं बनेगी और इसका अटैक ज्यादा खतरनाक होगा।
गंगाराम हॉस्पिटल के डॉक्टर अतुल गोगिया ने कहा कि एक बार यह फैल गया तो कंट्रोल करना मुश्किल है, क्योंकि देश में पहले से डेंगू फैला हुआ है, अब चिकनगुनिया भी चरम पर है। इसे रोकना है तो हर हाल में मच्छरों को रोकना होगा। सरकार की पहल के साथ साथ आम लोगों को भी इसे समझना चाहिए, तभी मच्छर खत्म हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए है खतरनाक:
डॉक्टर सैनी ने कहा कि अगर गर्भवती महिलाएं इस वायरस के चपेट में आ गईं तो उनके पेट में पल रहा बच्चा भी नहीं बच सकता। यह वायरस महिला के फीटसमें अटैक करता है और गर्भ में पल हरे बच्चे का ब्रेन का डिवेलपमेंट रोक देता है, बच्चे का सिर का साइज छोटो हो जाता है। हो सकता है कि बच्चे की मौत भी हो जाए।
इन लक्षणों से पहचानें:
जीका वायरस से संक्रामित हर पांच में से एक व्यक्ति में ही इसके लक्षण दिखते हैं। वायरस के शिकार लोगों में जॉइंट पेन, आंखें लाल होना, उल्टी आना, बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि इसके शिकार कुछ ही मरीज को एडमिट करने की नौबत आती है। अभी इस वायरस की पहचान के लिए पीसीआर जांच की जाती है जो केवल केंद्र सरकार के लैब में ही हो रहा है।
जानलेवा नहीं है:
डॉक्टर सैनी ने कहा कि अब तक पकड़ में आए जीका इन्फेक्शन के ज्यादातर मामले जानलेवा नहीं हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चों को खतरा ज्यादा है। जीका वायरस के मरीज कंप्लीट बेड रेस्ट लें, खूब पानी पीएं, शरीर में दर्द होने पर पैरासिटामॉल या एसिटीमिनोफेन लिया जा सकता है, लेकिन इबूप्रोफेन दवा नहीं लें।
एक बंदर से फैला यह वायरस:
कहा जाता है कि एक बंदर से फैला यह वायरस जीका वायरस का पहला मामला 1947 में यूगांडा में पाया गया था। जहां जीका नामक जंगलों में बंदरों के अंदर यह वायरस पाया गया था। जीका के पहले मरीज़ का मामला सन 1954 में नाइजीरिया में सामने आया था। अब यह जानलेवा वायरस दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फैल रहा है।
कैसे फैलता है यह वायरस:
एक मच्छर कैसे फैलाता है वायरस अगर किसी व्यक्ति को इस वायरस से संक्रमित मच्छर काट लेता है तो उस व्यक्ति में इसके वायरस आते हैं। इसके बाद जब कोई और मच्छर उन्हें काटता है तो उस मच्छर में फिर से यह वायरस प्रवेश कर जाता है। इस तरह से यह वायरस एक जगह से दूसरी जगह फैल जाता है। एक तरह से जैसे डेंगू फैलता है उसी तरह से यह वायरस भी फैलता
है।