डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए 123 साल पुराने एक्ट में हुआ बदलाव

नई दिल्ली,
कोरोना से जंग में अपनी जान जोखिम में डालने वाले डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ से अभद्रता की घटनाएं देशभर से सामने आ रही थीं। सभी को गंभीरता से लेते हुए केन्द्र सरकार ने बुधवार को 123 साल पुराने एपेडेमिक डिसीज एक्ट में बदलाव किया। इस एक्ट में अभी तक डॉक्टर्स की सुरक्षा को नजरअंदाज किया गया था। बीते कुछ दिनों से कोरोना वॉरियर्स पर हमले और बढ़ गए थे, हाल ही में चेन्नई में कोरोना मृतक डॉक्टर को लेकर जा रही एंबूलेंस पर पथराव किया गया। गृह मंत्री ने आईएमए के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद आर्डिनेंस जारी कर एक्ट में बदलाव के दिशा निर्देश जारी किए तथा इसे देश भर में तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया।
बैठक में उपस्थित एनएमसी और डीएमसी (दिल्ली मेडिकल काउंसिल) के चयनित सदस्य डॉ. हरीश गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा संबंधी सभी मांगों को मान लिया गया है, देश क्योंकि इस समय कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहा है, इसलिए फिलहाल एक्ट में बदलाव किया गया है। बाद में सदन में सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट पारित करने का भी आश्वासन दिया गया है, जिसकी लंबे समय से देशभर में मांग की जा रही थी। एम्स के जेरिएट्रिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर भी लंबे समय से मुहिम के सारथी रहे, उन्होंने बताया कि आर्डिनेंस को डॉक्टर्स संघ की जीत के रूप में देखा जा रहा है, डॉक्टर पर हमला अब गैर जमानती होगी, जिसकी सुनवाई तीन दिन में पूरी कर ली जाएगी। एक साथ के भीतर निर्णय और तीन से पांच साल के अंदर हमलावर पर सजा सुनाई जाएगी। इसके साथ ही हमलावार को पचास हजार से दो लाख तक का जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। यदि हमला अधिक गंभीर श्रेणी का पाया गया तो हमलावर को सात साल की कैद भी हो सकती है। एम्स के ही पूर्व आरडीए प्रमुख डॉ. अमरिंदर सिंह गिल ने बताया कि लंबे समय से डॉक्टर पर हो रहे हमलों को देखते हुए हम आरडीए के बैनर तले भी सेट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे थे। जिसे जल्द ही सदन में मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

कोरोना वारियर्स के लिये कुछ बड़े ऐलान, अहम बिंदुओं को पढ़ें…

-अध्यादेश के जरिए अब अगर कोई शख्स कोरोना वारियर्स पर हमले के लिए दोषी पाया गया तो उसे 6 से सात साल की सजा होगी.
-हमलावरों पर इसके साथ ही 1 लाख से लेकर आठ लाख तक जुर्माना भी लगाया जाएगा।
-123 साल पुराने कानून में अध्यादेश के जरिए बदलाव किया गया है।
-स्वास्थ्यकर्मियों को 50 लाख का बीमा कवर दिया गया है।
-अगर सरकारी क्लिनिक या गाड़ी को नुकसान पहुंचा तो आरोपियों से बाजार की कीमत से दूनी कीमत वसूल की जाएगी।

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