तंबाकू की बिक्री के लिए लेना होगा लाइसेंस

देश में हर साल कैंसर के 11 लाख नये मरीज देखे जा रहे हैं, जिसमें ढाई से तीन लाख मरीज अकेले मुंह और गले के कैंसर के शिकार होते हैं। तंबाकू का इसकी अहम वजह बताया गया है। तंबाकू से होने वाले कैंसर को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के सेवन रोकना काफी नहीं बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी स्कूलों के बाहर तंबाकू बेचा जाता है। इसलिए विशेषज्ञों ने अब तंबाकू और सिगरेट की बिक्री के लिए अनिवार्य रूप से लाइसेंस जारी करने की बात कही है।
एम्स के कैंसर रोग विशेषज्ञ (मुंह और गला) के डॉ. आलोक ठक्कर ने बताया कि तंबाकू का सेवन करने वाले 80 प्रतिशत लोगों में कैंसर शिकायत देखी जाती है, जबकि हर साल 40 हजार लोग मुंह के कैंसर की वजह से मौक के शिकार होते हैं। इनमें एक एक तिहाई मौतों को बचाया जा सकता है। पांच साल पहले तंबाकू से होने वाले कैंसर के मरीजों का आंकड़ा एक से डेढ़ लाख तक था, जबकि वर्ष 2012-13 की रिपोर्ट में इसकी संख्या बढ़कर ढाई से तीन लाख हो गई। टाटा मैमोरियल कैंसर रिसर्च सेंटर के डॉ. अनिल डीकॉज ने कहा तंबाकू प्रतिबंध कारगर नहीं है, तंबाकू के किसी भी तरह के उत्पाद की बिक्री के लाइसेंस अनिवार्य किया जाना चाहिए, इस बावत विशेषज्ञों के एक समूह ने प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भेजा जाएगा। तंबाकू उत्पाद निषेध अधिनियम (बिक्री एवं प्रचार एक्ट 2013) के तहत तंबाकू बिक्री के लिए स्थाीनय स्तर पर जिलाध्यक्षों की मदद से लाइसेंस जारी किया जाएगा। जिससे तंबाकू की बिक्री नियंत्रित करने की बात कही गई है।

सुपारी में भी कैंसर के तत्व
आईएआरसी (इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर) ने कैंसरजनित प्रमुख चीजों में सुपारी को भी शामिल किया है। टाटा मैरियरल अस्पताल के डॉ. डिकॉज ने बताया कि दिनभर में सुपारी सहित दस से 12 पान खाने वाले व्यक्ति को भी कैंसर की शिकायत हो सकती है। पहले कभी सुपारी सहित पान को सेहत के लिए लाभदायक बताया जाता था, लेकिन कई अंर्तराष्ट्रीय अध्ययनों में यह पाया गया कि गिली और सुखी दोनों तरह ही सुपारी में मौजूद एल्कैलॉयड और पॉलीनेयाड तत्व को कैंसर की वजह बताया गया है।

कैंसर के कितने मरीज
पुरुषों में कैंसर का प्रतिशत
फेफड़ा- 10 प्रतिशत
जीभ – 6.08 प्रतिशत
गला – 5.09 प्रतिशत
प्रोस्टेट – सात प्रतिशत

महिलाओं में कैंसर का प्रतिशत
स्तन – 26.9 प्रतिशत
सरवाइकल – 14.9 प्रतिशत
बच्चेदानी – 7.6 प्रतिशत
पित्त की थैली- 6.9 प्रतिशत
नोट- आंकड़े राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के तहत वर्ष 2013 में जुटाए गए।

मृत्यु प्रमाणपत्र पर दर्ज होगा कैंसर से हुई मौत
कैंसर से मरने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर मौत की वजह लिखी जाएगी। एम्स के कैंसर विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. पीके जुल्का ने बताया कि कैंसर से होने वाली मौत का सटीक आंकड़ा जानने के लिए इस बात की जानकारी मृत्यु प्रमाण पत्र पर दी जाएगी कि अमुक व्यक्ति की मौत कैंसर की वजह से हुई। इसके लिए दिल्ली नगर निगम पालिका परिषद और दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों से बात की गई है। इस प्रयास के बाद अगले चरण के कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम में सही आंकड़े जुटाए जा सकेंगे।

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