तंबाकू के नियमित सेवन को लेकर अब तक कई बीमारियों की बात की जाती है, जिसमें हृदयघात से लेकर दिमाग संबंधी तकलीफ शामिल है। लेकिन इस बावत हाल ही में किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि तंबाकू आंखों की ऑप्टिक नर्व को प्रभावित करता है, पांच से दस साल तक लगातार तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों में एएमडी या (मैक्यूलर डिजेनरेशन) का खतरा बढ़ जाता है।
इस बावत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि सिगरेट के धुंए में कई हानिकारक रसायनों का मिश्रण होता है, जो श्वांस या फेफड़े के जरिए अवशोषित किया जाता है, इसमें कुछ ऐसे एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो रक्तप्रवाह के जरिए रेटिना को प्रभावित करते हैं। धुम्रपान करने वाले व्यक्ति को सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा मैक्यूलर डिजेनरेशन का खतरा अधिक रहता है। ड्राई एएसडी सबसे सामान्य किस्म का एएमडी होता है, इसमें रेटिना के पीछे स्थित प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं में फैटी एसिड जमा हो जाता है, जिसकी वजह से व्यक्ति की दृष्टि धीरे धीरे कम होने लगती है। गीले या सूखे दोनो ही एएमडी में तेजी से आंखों की रोशनी कम होती है। इस बीमारी के लक्षण में आंखों के अंदर धब्बे पड़ जाते हैं और आंखों की रोशनी कम होने लगती है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि लंबे समय से सिगरेट का सेवन करने वाले लोगों को अन्य सामान्य जांच के साथ ही आंखों की भी नियमित जांच करानी चाहिए। सबसे अहम यह है कि धुम्रपान छोड़कर तुरंत हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। योग, ध्यान और प्राणायाम आदि से धुम्रपान की लत से छुटकारा पाया जा सकता है।