नई दिल्ली: खून की साधारण जांच अब यह बताने के लिए काफी होगी कि आप कैंसर के करीब हैं या दूर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के कैंसर रिसर्च प्रोग्राम के तहत किए जाने वाले शोध का पहला पूरा कर लिया गया है। संस्थान ने कैंसर के लिए कारक चार प्रोटीन का पता लगाएगा, रक्त की जांच के जरिए इनकी पहचान हो सकेगी।
एनआईआई के निदेशक अवधेश सुरोलिया ने बताया कि कैंसर की पहचान के लिए नये मॉलीक्यूल को पहचाना जा चुका है। यह खून में प्रोटीन के रूप में उपस्थित रहते हैं। स्पेगजी, एचएसपी 17 और एकेप 4 नामक प्रोटीन साधारण सेल्स को कैंसर सेल्स में बदलने के लिए कारक माने गए हैं। खून में इन प्रोटीन की पहचान होने के बाद यदि उपरोक्त प्रोटीन का असर देखा जाता है तो उसमें कैंसर की स्थिति को प्रारंभिक चरण में पहचान कर इलाज संभव हो पाएगा। डॉ. सुरोलिया कहते हैं कि अगले पांच साल में कैंसर के इलाज को अधिक कारगर बनाया जाएगा। इम्यूनोथेरेपी के जरिए मरीज को टारगेटेड दवाएं ही दी जाएगी, जिससे कीमोथेरपी व रेडियो थेरेपी से साधारण सेल्स होने वाले नुकसान को बचाया जा सके।
कितना होगा प्रोजेक्ट पर खर्च
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से शुरू किए जाने वाले इस शोध का पहला चरण के बाद दूसरे चरण के मानव प्रयोग के लिए एम्स, सफदरजंग, टाटा मैमोरियल कॉलेज मुंबई से संपर्क किया गया है। कैंसर रिसर्च प्रोग्राम के डॉ. अनिल सूरी कहते हैं कि मॉलीक्यूल क्योंकि देश के ही संस्थान में खोजे गए हैं, इसलिए इनकी जांच के लिए तैयार किट अपेक्षा कृत सस्ती होगी। अमेरिका की अमृता थेरेपेटिक कंपनी जांच किट तैयार करेगी। अमेरिका की क्वीन यूनिवर्सिटी के सहयोग से शुरू किए जाने वाले कैंसर रिसर्च प्रोजेक्ट पर 7.9 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
कैसे होगा मरीजों का फायदा
-किट केवल सरकारी संस्थानों को ही मिलेगी
-बाजारीकरण रोकने के लिए किट पर सब्सिडी दी जाएगी
-खून की अन्य सामान्य जांच में स्पेग 9, एकेप 4 और एचएसपी 17 होगी शामिल
-पहचाने गए मॉलीक्यूल के आधार पर ही मरीज को दी जाएगी वैक्सीन