नई दिल्ली
होली रंगों का त्यौहार है, लेकिन रंग खरीदने के संदर्भ में अधिकांश लोगों की यह मानसिकता होती है कि दूसरों को ही तो लगाना है रंग, इसलिए क्यों न थोड़ा सस्ता ही खरीद लिया जाएं। सस्ते व कैमिकल युक्त रंग त्वचा की एलर्जी पैदा कर सकते हैं, इसके साथ ही यह रंग आंखों के लिए भी ठीक नहीं। सूखे सहित गीले रंगों के लिए भी बाजार में प्राकृतिक रंग का विकल्प उपलब्ध हैं।
रखे आंख और त्वचा का ध्यान
फोर्टिस अस्पताल की डरमेटोलॉजिस्ट डॉ. मंजूल अग्रवाल ने बताया कि होली को बसंत का मिलाजुला रूप माना जाता है। इसलिए पहले फूल व पत्तियों के प्राकृतिक रंगों से ही होली खेली जाती थी। लेकिन आजकल कपड़े डाई करने वाले रंगों का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रंग सिंथेरिटक व आक्सीडाइज्ड धातुओं से बनें होती है। जो होली के कई हफ्ते बाद तक नहीं उतरते और उतरने के साथ यह रंग त्वचा के संक्रमण का कारण बन जाते हैं। इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. डीएम महाजन कहते हैं कि होली के कैमिकल व साधारण रंगों से आंखों को बचाना सबसे जरूरी होता है। रेटिना व पुतलियां अधिक संवेदनशील होती हैं, इसलिए कैमिकल रंगों का असर तुरंत दिखता है। भारती नेत्र अस्पताल की प्रमुख डॉ. एस भारती कहती हैं कि आंखों को रंगों से बचाने के लिए बेहतर है कि चश्मा लगाकर ही होली खेली जाएं। बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत हैं, रंगों के गुब्बारे व चांदी वरक युक्त रंग किसी सूरत में सही नहीं कहे जा सकते।
किस रंग का क्या परिणाम
हरा- इसको बनाने में कॉपर सल्फेट का प्रयोग किया जाता है। इससे आंखों में अस्थाई एलर्जी हो सकती है।
सिल्वर- सिलवर वरक एल्यूमीनियम ब्रोमाइड से बनती है, इसमें कैंसर पैदा करने वाला कर्सिनोजेनिक तत्व होता है।
लाल-आपका पसंदीदा गुलाल मरकरी सल्फाइट से बनता है, जो मानसिक कमजोरी व पैरालिसिस कर सकता है।
बैंगनी- क्रोमियम आयोडाइड से तैयार बैंगनी रंग अस्थमा व एलर्जी का प्रमुख कारक है।
कैसे खेलें इको-फ्रेंडली होली
विभिन्न कंपनियों ने इस बार बाजार में इको-फ्रेंडली रंग लांच किए हैं। इसके अलावा पांरपरिक टेसू के फूल से भी घर पर ही प्राकृतिक रंग तैयार किए जा सकते हैं। प्राकृतिक रंगों की पहचान उनकी खुशबू से तथा हाथ पर रगड़कर की जा सकी है। भूल कर भी ऐसे रंग न खरीदें, जिसमें अबरक या फिर चांदी वरक मिलाया गया हो। गीलों रंगों में स्प्रे रंग का प्रयोग किया जा सकता है।
अपनाएं कुछ घरेलू उपाय
-रंग खेलने से पहले चेहरे व हाथ पांव में नारियल का तेल लगाएं
-रंग उतारने के लिए साबून की जगह बेसन व चंदन का प्रयोग करें
-बालों पर रंग न चढ़े इसलिए एक दिन पहले तेल जरूर लगाएं
-आंखों में यदि जलन हो तो कच्चे दूध का प्रयोग करें।