नई दिल्ली,
भारत के एक छोटे से राज्य सिकिक्म ने ड्रग्स की लत के शिकार लोगों के लिए एक नई पहल की है। स्थानीय सरकार ने नारकोटिक्स एक्ट में बदलाव करते हुए ड्रग्स के शिकार युवाओं को अपराधी की जगह रोगी मानने की पहल की है। इसके पीछे अहम वजह यह है कि अपराधी घोषित करने के बाद इस युवाओं का न तो बेहतर इलाज हो पाता और न ही वह नशे की आदत को छोड़ पाते हैं। सिकिक्म में प्रत्येक दस में से सात युवाओं को नशे की लत है।
सरकार ने इस फैसले के बावत 17 साल पहले पुर्तगाल में की गई एक सकारात्मक पहल को आाधार बताया है। जिसके बाद वहां सिर्फ युवाओं को नशे से दूर रखा जा सकता, बल्कि उनको मरीज मानकर इलाज करने से एचआईवी एड्स जैसी बीमारी का भी आंकड़ा कम देखा गया है। सिक्किम की इस पहल का विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। मनोवैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि अपराधी मानने या अपराधी जैसा व्यवहार करने से किसी समस्या का हल नहीं किया जा सकता, नशे के संदर्भ में यह बात और भी अहम हो जाती है क्योंकि युवाओं को सही और गलत का अंदाजा ही नहीं हो सकता। बेहतर है कि उनको मरीज मानकर पहले इलाज किया जाएं इसके बाद नाकोटिक्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है। यदि सिक्किम में यह पहल कारगर होती है तो इसे पंजाब, यूपी बिहार और देश के अन्य राज्यों में भी शुरू किया जा सकता है।