नई दिल्ली,
इलाज की यूनानी पद्धति प्राचीनतम पद्धति हैं, जिसमें इलाज के साथ ही होलेस्टिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा सकता है, यूनानी पद्धति में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली भी कई दवाएं मौजूद है। केन्द्र सरकार के प्रयास की वजह से बीते पांच साल में यूनानी पद्धति की तरफ काफी ध्यान दिया गया है। पहली बार आयुष मंत्रालय बनने की वजह से यूनानी रिसर्च काउंसिल का गठन किया गया। यह पद्धति मन, वाणी और कर्म तीनों बातों को ध्यान में रखकर व्यक्ति के इलाज पर जोर देती है, विश्व स्वास्थ्य संगठन भी शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक और भावनात्मक सामंजस्य को स्वस्थ्य रखने के लिए महत्वपूर्ण मानता है।
उपरोक्त बातें केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यूनानी दिवस पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय काफ्रेंस में कहीं। उन्होंने कहा कि दवाओं पर निर्भरता कम करने और सस्ती इलाज की तकनीक का फायदा उठाने के लिए यूनानी से बेहतर और कोई पद्धति नहीं हो सकती। मौके पर उपस्थिति आयुष मंत्री श्रीपद येस्सो नायक ने कहा कि केन्द्र सरकार की पहल के बाद पहली बार आयुष मंत्रालय का गठन किया गया, इसके बाद से ही यूनानी और सिद्धा पद्धति में शोध कार्यों पर विशेष ध्यान दिया रहा है, यूनानी विधा सस्ती और गुणवत्ता परक पद्धति है, जिसको वर्षो से प्रयोग में लाया जा रहा है। स्वतंत्र प्रभार राज्य स्वास्थ्य मंत्री डॉ. जीतेन्द्र कुमार ने कहा कि कई बार देखा जाता है कि यूनानी या आयुर्वेद के चिकित्सक एलोपैथी की दवा भी लिख देते हैं, मेरे हिसाब से इलाज की इन सभी पद्धतियों में प्रतियोगिता की जगह सामंजस्य होना चाहिए। राज्य मंत्री ने कहा कि अगली बार यूनानी दिवस पर आयोजित अंतराष्ट्रीय सेमिनार में एलोपैथी के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाना चाहिए, संवाद से इलाज के कुछ नए रास्ते निकल सकते हैं क्योंकि किसी भी एक विधा को इलाज के लिए पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि यूनानी में गैर संक्रामक बीमारियों के इलाज की भी बेहतर दवाएं उपलब्ध है। यूनानी दिवस पर विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय यूनानी विशेषज्ञ और प्रतिनिधि शामिल हुए है, इस अवसर पर यूनानी विधा में शोध और बेहतर कार्य करने वाले छात्र और अध्यापकों को केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। मौके पर आयुष मंत्रालय के सचिव डॉ. राजेश कुटेजा, सीसीआरयूएम के निदेशक प्रो. आसिम अली खान सहित कई विशेषज्ञ उपस्थित थे। बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की डॉ. अबिया अहमद को दिया गया।
कश्मीर में खुला पहला एमडी यूनानी कॉलेज
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कुटेजा ने बताया कि यूनानी में नमस्ते पोर्टल के माध्यम से इस विधा को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, यूनानी में गैर संक्रामक बीमारियां जैसे डायबिटिज, हृदयरोग आदि का भी इलाज है। केन्द्रीय काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी के निदेशक प्रो. आसिम अली खान ने बताया कि हर साल पचास करोड़ मरीजों का इलाज यूनानी पद्धति से किया जा रहा है। सस्टेनेबेल डेवलपमेंट गोल को हासिल करने के लिए यूनानी पद्धति सहायता साबित हो सकती है। यूनानी पर शोध कार्य पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है,जम्मू और कश्मीर में देश का पहला एमडी यूनानी कोर्स शुरू किया गया है, जहां देश विदेश के छात्र प्रवेश ले सकते हैं।