नई दिल्ली,
कोरोना संक्रमण की गंभीर स्थिति में प्रयोग किया जाने वाले रेमडेसिविर के उत्पादन की नई इकाइयों को मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। अब तक सात निर्माता कंपनियां ही देश में इंजेक्शन का निर्माण करती थीं, अब छह अन्य साइट्स पर इंजेक्शन का उत्पादन हो सकेगा। इसके बाद प्रतिमाह 78 लाख वायल तैयार किए जा सकेगें। इस बावत रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा फार्मासियुटिकल कंपनियों के साथ अहम बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें पत्तन, पोत और जलमार्ग मंत्रालय तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडवीय ने इंजेक्शन के उत्पादन और दाम में कमी करने की मंजूरी दे दी है।
इंजेक्शन की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 11 अप्रैल से ही इनके निर्यात को बंद कर दिया गया है। बाहर देशों से मंगाई जाने वाले इंजेक्शन के चार लाख वायल अब देश में ही प्रयोग हो सकेगें। पहले रेमडेसिविर के उत्पाद के लिए सात फार्मासियुटिकल कंपनियों को लाइसेंस दिए गए थे, जबकि देश में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए छह अन्य फार्मा कंपनियां रेमडेसिविर का उत्पादन कर सकेगें। जिससे इंजेक्शन की प्रति माह 78 लाख वायल तैयार की जा सकेगीं। अब तक इसका 38.80 लाख प्रतिमाह उत्पादन होता था। फ्रास्ट ट्रैक के तहत अब सात अतिरिक्त साइट्स पर इंजेक्शन का उत्पादन हो सकेग। रेमडेसिविर के उत्पादकों ने नैतिकता के आधार पर इंजेक्शन की दवा 3500 से कम करने का आश्वासन दिया है, जिसे सप्ताह के अंत तक लागू कर दिया जाएगा। निर्माताओं ने इंजेक्शन को सीधे जिला और ब्लाक स्तर पर पहुंचाने की भी बात की है, इसके साथ ही इंजेक्शन की काला बाजारी रोकने पर सख्त कार्रवाई का निर्णय लिया गया। निर्धारित दाम से अधिक रेमडिसिवर बेचने और इसकी उपलब्धता पर नेशनल फार्मा सियुटिकल प्राइसिंग आर्थरिटी होल सेल और थोक विक्रेताओं पर नजर रखेगी।