इलाज का ख़र्च 80 प्रतिशत काम कर देगा एक उपाय

कभी आपने सोचा है यही आपकी आमदिनचर्या में बाकि सब जरूरी खर्चो के बीच यदि इलाज का खर्च 80 प्रतिशत से ज्यादा कम हो जाये तोह क्या होगा? पहले तोह आप इस एक सच को सच ही नहीं मानेंगे और अगर मान भी गए तोह कई तरह के भ्रम दिमाग में रहेंगे की इलाज पर नहीं तोह मुझे बेहतर डाइट पर खर्च करना होगा या फिर हमेशा के लिए एक फॅमिली डॉक्टर साथ में रखना होगा जी नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है, हमारी दिनचर्या की कुछ जरूरी चीजे और थोड़ा का अपनी सोच के तरफ ध्यान दे तोह हम डॉक्टर को दी जाने वाली फ़ीस को मासिक खर्च के बचा सकते है.
इलाज पर लाखो खर्च से बाद भी पूरी तरह ठीक न होने की गारंटी, दवाओं के नकारात्मक प्रभाव और एक बीमार व्यक्ति होने की सोच अदि ठीक होने की जगह हमें और बीमार कर देती है. मेडिकल जगत में किये जाने वाले कई तरह के नए प्रयोग में एक सेल्फ हीलिंग भी एहम पहलु है, बहुत सरे नर और मादा जानवर अपने जख्मो को खुद ही अपनी लार से ठीक करे है, जिसे इलाज को होलिस्टिक अप्प्रोच कहा जाता है. जहा डॉक्टर की दवाये काम करना बंद कर दे या जिस बीमारी पर किसी भी आधुनिक इलाज का असर न हो उस मरीज को ठीक करने के लिए एक बार इस विकल्प को जरूर अपनाना चाहिए, क्या पता कुछ मिरेकल हो जाये? मिरेकल स्पिरिचुअल हीलिंग सेंटर के मिस्टर अमरजीत सिंह कहते है की हमारे शरीर से अंदर कुछ ऐसे शक्तियां जो हमारी खुद ही बीमारियों के लिए रक्षा करती है. कभी सोचा है हमारे नाख़ून या बाल टूटने के बाद अपने आप क्यों उग आते है या फिर घाव क्यों भर जाते है. नए सेल्स का बनना और टूटना भी उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है, दरसल हम अपनी कुछ बुरी आदते, अनियमित खानपान, देर से सोना और नेगटिव विचार के कारण शरीर के इको बैलेंस सिस्टम को ख़राब कर लेते है, इस सन्दर्भ में शरीर पर होने वाले असर पर कर्मा का एहम योगदान होता है. जो हम करते है या जैसा हम करते है उसका असर हूबहू हमारे शरीर पर पड़ता है. मन में नेगेटिव विचारो का आना भी हमारे कर्मो का ही फल है. जिसका असर रोगो से लड़ने की शक्ति पर पड़ता है और हम दिन पर दिन बीमार हो जाते है. अब ठीक होने से लिए दवा की नहीं बल्कि पॉजिटिव सोच के जरुरत है जो हमारे अंदर लगभग ख़तम सी हो गयी है लम्बे अरसे के मन में बैठायी सोच को एक घंटे या आधे घंटे में नहीं बदला जा सकता है यह एक तरह से शरीर सो डी टॉक्सीफिकेशन है यो अंदर की नकारत्मक ऊर्जा को खतम कर उसे सकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है अब जब सब कुछ अच्छा और पॉजिटिव होगा तोह गलत या नकारात्मक सोचने की जगह की कहा बचती है, अमरजीत कहते है की अन्य जरूरी काम के बीच यही थोड़ समय हम अपनी सोच विचार या फिर दिमाग को सही करने के लिए दे दो निश्चित रूप से डॉक्टर के पास जाने जी जरुरत ही नहीं होगी. क्या यह हम खुद कर सकते है जब हमे ही अपना इलाज करना है तोह हम कही और क्यों जाए ? तोह जवाब यह है की आपने अंदर तोह पहले के अँधेरा है रौशनी के लिए आपको एक ऐसे व्यक्ति की जरुरत होगी यो खुद पॉजिटिव हो और आपकी नेगेटिविटी को अपने अंदर ले ले. जितने सालो की नेगेटिविटी आपने अंदर पाल राखी होगी आपकी जिंदगी की असल ख़ुशी में वापस आने में उतना ही समय लगेगा. दो से तीन चरण से हीलिंग सेशन से यह ठीक हो सकता है. एक महीने का ट्रायल आपकी इस बात का एहसास करा देगा की आप अब तक इस चीज से महरूम क्यों रहे? सकारात्मक सोच विशेषज्ञ भी मानते है इस प्रक्रिया से गंभीर से गंभीर रोगो का इलाज किया जा सकता है मरीज वेंटीलेटर के जीवित वापस आये है. तोह जीवन में सबसे जरूरी है एक बेहतर पहल की. इससे पहले की आप जाँच और सर्जरी के मकड़जाल में फंसे एक बार अंतर्मन की जरूर टटोले.

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