संक्रमित सूई की वजह के इस्तेमाल के कारण भारत में 44,5 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मचारी अपने जीवनकाल में एक न एक बार संक्रमण के शिकार अवश्य होते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों को इस संक्रमण से बचाने के लिए हिंदुस्तान सिरिंज एंड मेडिकल डिवाइस कंपनी लिमिटेड से विसंक्रमित डिस्पोक्ट सिरिंज लांच की है। जो निडल सेफ्टी इंफेक्शन यानि एनएसआई के बढ़ते खतरे को कम करेगी। देश की पहली भारतीय सुरक्षित सिरिंज लांच करने से स्वास्थ्यय कर्मियों की संक्रमण से सुरक्षा सुनिश्चित होगी। एचएमडी का लक्ष्य अगले तीन साल में सिरिंज बाजार के 60 से 70 प्रतिशत हिस्से को कवर करना है।
विसंक्रमित मेडिकल सिरिंज लांच करने से देश की वैश्विक मेडिकल उपकरण बाजार में भी पैंठ मजबूत होगी। एमएमडी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव नाथ ने बताया कि डिस्पोजेस्ट को सुरक्षा के सभी मानकों को आधार मानकर तैयार किया गया है एसआईपी या सेफ्टी शिल्ड आधारित सिरिंज से निडल सेफ्टी इंफेक्शन या एनएसआई के मामलों को कम करेगी, विसंक्रमित सिरिंज चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की भागीदारी को मजबूत करेगी, इसके साथ ही मेड इंन इंडिया के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य को भी पूरा करेगी। श्री राजीव नाथ ने कहा कि भारत चिकित्सीय उपकरण निर्माण में विश्व भर में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। आत्म निर्भर भारत की अवधारण को पूरा करते हुए अब देश में निर्मित मेडिकल उपकरणों को निर्यात भी किया जा रहा है। सुरक्षित विसंक्रमित निडल सिरिंज के प्रयोग से स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र को काफी फायदा होगा, इससे स्वास्थय कर्मियों में संक्रमण की संभावना कम होगी, लागत कम होगी इसके साथ ही निडिल सेफ्टी इंफेक्शन की वजह से होने वाले संक्रमण और इलाज पर खर्च के खर्च में भी कटौती होगी। हालांकि कई मामलों में संक्रमित सूई या सिरिंज से होने वाले संक्रमण को स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर किया जाता है, संक्रमण की दर कम होने से स्वास्थ्य बीमा पर एनएसआई के क्लेम का बोझ कम होगा। स्वस्थ और संक्रमण से सुरक्षित कर्मचारी अस्पताल और काम करने वाली जगहों पर अधिक सकारात्मक सोच के साथ बेहतर काम करने में सक्षम होंगे।
कंपनी की एक्जीक्यूटिव निदेशक सोहाली नाथ ने बताया कि मेडिकल उपकरणों की रिसर्च एंड डेवलपमेंट से जुड़ी पहले कई तरह की भ्रांतियां होती थी, मसलन शोध पूरा हुआ तो निर्माण कैसे होगा, तकनीक का प्रमापीकरण की एक बड़ी दिक्कत थी, इसके साथ ही देश में प्रतिवर्ष पांच बिलियन डिस्पोजेबल सिरिंज और सूई निस्तारित की जाती है, इस क्षेत्र का 80 प्रतिशत हिस्सा निजी कंपनियों के पास है, डिस्पोजेबल या निस्तारित की जाने वाली सिरिंज का बाजार लगभग 5 से छह बिलियन इतने बड़े बाजार का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा अगले तीन साल में कवर करने के लक्ष्य के साथ हम बाजार में उतरे हैं निश्चित रूप से डिस्पोजेस्ट का नवीन प्रयोग सिरिंज बाजार की तस्वीर बदल कर रख देगा। आगे सिरिंज के सुरक्षा मानकों पर बात करते हुए सोहाली नाथ कहती हैं कि एचएमडी की राष्ट्रीय स्तर पर 9500 डीलर हैं, इसके साथ एचएमडी देशभर में 60 पिकअप सेंटर हैं, जो समर्पित विशेषज्ञों की टीम और स्टॉफ आपूर्ति चेन संभालती है। डिस्पोजेक्स्ट विसंक्रमित निडल सीरिंज केवल ग्लोबल मार्केट का ही ध्यान आर्कषित नहीं करेगी बल्कि यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की निडल सेफ्टी संक्रमण के बढ़ते मामलों को करने करने की चिंता का भी समाधान है। एनएसआई को विश्वभर में स्वास्थ्य कर्मचारियों में हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी की वजह माना गया है। यूरोप और यूएसए में सुरक्षित सिरिंज का प्रयोग आवश्यक माना गया है जबकि देश में अभी नियम अधिक सख्त नहीं है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्यूनिटी मेडिसन और पब्लिक हेल्थ के अनुसार भारत में वर्ष 2021 में एनएसआई का प्रतिशत 20,1 था। नर्सो में निडिल सेफ्टी संक्रमण की दर 31,3 प्रतिशत था, लैब तकनीशियन में 37,5 प्रतिशत, वार्ड ब्वाज और अन्य में 15 प्रतिशत तथा सफाईकर्मचारी और सार्वजनिक लोगों मे 15,6 प्रतिशत संक्रमण देखा गया। संक्रमित सूई या सिरिंज से होने वाले संक्रमण अधिक डायग्नोस या उनकी पहचान नहीं होते हैं। सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल एंड प्रीवेंशन यूएस के अनुसार केवल दस प्रतिशत संक्रमण के मामलों की ही पहचान हो पाती है।