कैंसर जांच के लिए पीपीपी मॉडल

नई दिल्ली, देश में कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार कैंसर की जांच के लिए पीपीपी मॉडल पर काम करने का विचार कर रही है। टाटा ट्रस्ट की मदद से बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में व्यापक स्तर पर जांच की सुविधाएं बढ़ाई जाएगीं। एसोचैम द्वारा आयोजित सर्विकल कैंसर के नेशनल सेमिनार में बोलते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि विश्वभर में हर साल 8.2 मिलियन लोगों की मौत कैंसर की वजह से होती है। जिसको देखते हुए कैंसर की प्राथमिक चरण में जांच जरूरी है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की मातृत्व स्वास्थ्य कमिश्नर डॉ. सुमिता घोष ने बताया कि मुंह, सर्विकल और स्तन कैंसर की जांच के लिए सरकार ने 125 सेंटर निर्धारित किए हैं। सर्विकल कैंसर महिलाओं में होने वाले दूसरा सबसे अहम कैंसर है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रीवेंशन सेंटर के निदेशक डॉ. रवि मेहरोत्रा ने बताया कि ग्रामीण इलाको में स्क्रीनिंग की बेहतर सुविधाएं न होने के कारण सही समय पर बीमारी का पता नहीं लग पाता। हालांकि शहरी क्षेत्र में बीमारी में तेजी से गिराव देखा जा रहा है। एसोचैम और एनआईसीपीआर द्वारा सर्विकल कैंसर पर किए गए अध्ययन के अनुसार अकेले भारत पर सर्विकल कैंसर के कुल एक तिहाई हिस्से का बोछ है। 30 से 69 साल की उम्र की 17 प्रतिशत महिलाओं की मौत की वजह सर्विकल कैंसर को पाया गया। विश्व भर में जहां 100 में एक महिला में कैंसर पाया गया जबकि भारत में 53 महिलाओं में एक में सर्विकल कैंसर देखा गया। सर्विकल कैंसर के 85 प्रतिशत महिलाओं की उम्र 40 की देखी गई

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