नई दिल्ली: जो महिलाएं अभी भी खाना पकाने का काम ठोस ईंधन यानि कोयले, लकड़ी या चारकोल से करती हैं उन्हें न केवल दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा है बल्कि यह उनकी मौत की वजह भी बन सकती है। एक नए अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है।
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के डेरिक बेनेट ने अपनी इस स्टडी के बाद एक सुझाव देते हुए कहा है कि जो लोग खाना पकाने के लिये ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें जल्द से जल्द बिजली या गैस का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल या खून वाहिकाएं से जुड़ी बीमारियां पूरी दुनिया में लोगों की मौत का एक प्रमुख कारण है और ठोस ईंधन उस कारण को बढ़ाता है। इस बारे में भारत के दिल के डॉक्टरों का भी कहना है कि जिस ईंधन से धुआं निकलता है वह खतरनाक होता ही है, अब यह स्टडी से भी साबित हो चुका है।
इस स्टडी में यह सुझाव दिया गया कि ठोस ईंधन जैसे कोयला, लकड़ी या चारकोल से खाना बनाने से वायु प्रदूषण तो होता ही है, साथ ही इससे दिल की बीमारी से असमय मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि इसके सीमित साक्ष्य हैं। हालिया अध्ययन में खाना पकाने में इस्तेमाल किए जाने वाले ठोस ईंधन और दिल की बीमारी के बीच संबंध बताया गया है। साथ ही ठोस ईंधन से स्वच्छ ईंधन की ओर से रुख करने के संभावित प्रभाव भी बताये गये हैं।
इसमें वर्ष 2004 से 2008 के बीच चीन के 10 इलाकों से 30 से 79 उम्र के 3,41,730 व्यक्तियों को शामिल किया गया था। प्रतिभागियों से यह पूछा गया कि वे खाना पकाने के लिये प्राय: किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल करते हैं। रिसर्चर ने बताया कि हमें यह पता चला कि भोजन पकाने के लिए लंबे समय तक ठोस ईंधन का इस्तेमाल करने से दिल की बीमारी का बहुत ज्यादा खतरा है।