नई दिल्ली,
कोरोना महामारी के कारण भारत में लाइफ एवं हेल्थ इंश्योरेंस के लिए तेजी से जागरूकता बढ़ी है। भारत में 60 प्रतिशत से अधिक लोग अब हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने की सोचने लगे हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें या तो खुद एक भारी भरकम हॉस्पिटल बिल भरने की नौबत का सामना करना पड़ा या फिर किसी दोस्त के अनुभव के बारे में पता चला, जिसको वह खुद पर आजमाना नहीं चाहते।
एक सर्वे में यह बात सामने आई है। देश में लगातार महंगे होते मेडिकल खर्च और प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज हेतु भारी-भरकम बिल आने की हालिया खबरों ने देश में इंश्योरेंस खासकर हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति लोगों का नजरिया बदल दिया है। इसलिए अब हर तीन में से कम से कम एक भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने की सोचने लगे हैं और मौजूदा कोविड-19 संकट के डर से भी इस सोच को बढ़ावा मिला है। इंश्योरेंस मार्केट प्लेस पॉलिसीबाजारडॉटकॉम के वार्षिक सर्वेक्षण में यह बातें सामने आई हैं। यह सर्वे राष्ट्रीय बीमा जागरूकता दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। पॉलिसीबाजारडॉटकॉम ने 4000 से अधिक मौजूदा इंश्योरेंस ग्राहकों के बीच यह सर्वे किया, जिन्होंने पिछले छह महीने के दौरान इस प्लेटफॉर्म से इंश्योरेंस कवर खरीदा है। सर्वे का उद्देश्य इन लोगों का नजरिया जानना और यह समझना था कि वो क्या चीज है जो लाइफ, हेल्थ और मोटर इंश्योरेंस खरीदने के लिए प्रेरित करती है।
सर्वे के प्रश्न 19 से 23 जून 2020 के बीच पूछे गये थे। सर्वे के परिणाम टर्म इंश्योरेंस खरीदने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि का संकेत भी देते हैं। लंबी अवधि की सुरक्षा के लिए टर्म इंश्योरेंस खरीदने वाले लोगों की संख्या 2019 की तुलना में बढ़ी है। पहले 10 में 6 लोग टर्म इंश्योरेंस खरीदते थे और अब 10 में से 7 लोग खरीदने लगे हैं। पॉलिसीबाजारडॉटकॉम के सीईओ सरबवीर सिंह ने कहा, ‘‘भारतीयों के बीच इंश्योरेंस के उद्देश्य एवं महत्व को लेकर बढ़ती जागरूकता काफी उत्साहजनक है। एक बेहतर इंश्योरेंस सुरक्षा प्राप्त देश किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और अर्थव्यवस्था में अस्थिरता से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में होता है। हमारे सर्वे के परिणाम भारत की इंश्योरेंस कंपनियों को बाजार की जरूरतों के हिसाब से बेहतर प्रोडक्ट बनाने और बेचने में मदद करेंगे।’’ वहीं, मोटर इंश्योरेंस के प्रति भी जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन इसे अब भी एक कानूनी औपचारिकता के रूप में देखा जाता है। चार में तीन लोगों ने यह कहा कि उन्हें थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के फायदों के बारे में पता है, जबकि पिछले वर्ष ऐसे लोगों की संख्या 60 प्रतिशत थी। जीरो डेप्रिशियेशन कवर की जानकारी रखने वाले लोगों की संख्या भी पिछले वर्ष के 50 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष 70 प्रतिशत तक पहुंची है।