लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने और छिपे मामलों का पता लगाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने ‘डोर टू डोर’ सर्वे करने का निर्णय लिया है जिसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी 75 जिलों में घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए जिला स्तर पर स्वास्थ्य टीमें गर्भवती महिलाओं, पहले से कैंसर, गुर्दा रोग या मधुमेह से ग्रस्त लोगों, बुजुर्गों और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों सहित कमजोर व्यक्तियों की मैपिंग करेंगी। माना जा रहा है कि यह अभ्यास हाल ही में दिल्ली में शुरू किए गए अभियान से मिलता-जुलता है, लेकिन 23 करोड़ से अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश राज्य में मॉडल को अमल में लाना एक बहुत बड़ा काम है। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य, अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत 1 जुलाई को मेरठ मंडल की जाएगी और स्वास्थ्य अधिकारी 5 जुलाई से अन्य जिलों में पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि यह अभियान मेरठ से शुरू किया जाएगा क्योंकि जिले में फैले कोरोना पर रोक लगाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में 47 प्रतिशत से अधिक मामले मेरठ मंडल से सामने आये हैं। मेरठ मंडल के अंतर्गत आने वाले जिले गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद में कोरोना के मामलों में उछाल देखा गया है। ये दोनों जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का भी एक हिस्सा हैं। इसके अलावा मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर में भी इस महीने में कोरोना मामलों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून की शुरुआत से इन्फ्लूएंजा और संक्रमण जैसी अन्य बीमारियों में तेजी आने की आशंका है जिससे संकट बढ़ सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही राज्य भर में निगरानी बढ़ाने के उद्देश्य से एक लाख टीमों का गठन करने का आदेश दे दिया था। स्वास्थ्य टीमें लोगों में जागरूकता पैदा करने और जानकारी जुटाने के लिए घर-घर जाएंगी।
(आईएएनएस)