नई दिल्ली
पोस्ट कोविड युग में 18 से 29 वर्ष की आयु के लोग पहले से कहीं ज्यादा अब टीबी से ग्रसित हो रहे हैं। यह लॉकडाउन के दौरान खराब लाइफस्टाइल के कारण इम्युनिटी कमजोर होने के कारण हो रहा है। दिल्ली की 29 वर्षीय महिला अपराजिता शर्मा (बदला हुआ नाम) ने हाल ही में इसी तरह की घटना का अनुभव किया। उन्हें लॉकडाउन के दौरान फिल्में देखने और सुबह 3 से 4 बजे सोने की आदत हो गई थी। उनका दिन सुबह 12 बजे के बाद शुरू होता था। तीन महीने से ज्यादा समय तक यह सिलसिला चलता रहा। लॉकडाउन के कारण एक्सरसाइज न करने के कारण उन्होंने इसकी भरपाई के लिए नाश्ता करना छोड़ दिया। उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। लाइफस्टाइल में इन सभी बदलावों के कारण उन्हें भूख कम लगती थी। उन्हें हल्का बुखार, शरीर में दर्द और खांसी के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ होने लगी। आकाश हेल्थकेयर, द्वारका में उनमे प्लेयरल एफ्यूजन (फुफ्फुस बहाव- फेफड़े के आसपास तरल पदार्थ) का पता चला था।
आकाश हेल्थकेयर द्वारका के स्लीप मेडिसिन और रेस्पिरेटरी- सीनियर कंसल्टेंट डॉ अक्षय बुद्धराजा ने इस केस के बारे में चर्चा करते हुए कहा* , “हमारे पास आने वाले टीबी से पीड़ित युवाओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। ज्यादातर केसेस में पीड़ित स्वस्थ रहते हैं उन्हें पिछले कुछ महीनों में लक्षण दिखने के बाद टीबी का पता चला है। हमने पाया है कि ज्यादातर समय यह खराब लाइफस्टाइल और पर्याप्त नींद न ले पाने के कारण टीबी हो रही है। कोविड 19 महामारी के दौरान कई लोगों की नींद का पैटर्न अनियमित हो गया था, लोग देर रात तक जागते रहते थे या सुबह जल्दी नहीं उठते थे, जिस वजह से वे नाश्ता नही करते थे, बहुत से लोग सख्त डाइट प्लान का पालन कर रहे थे, कई लोग बिन एक्सपर्ट की सलाह उपवास रख रहे थे। इससे इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हुई, जिससे टीबी जैसी बीमारियां होने लगी। अपराजिता के केस में भी यही देखने को मिला।”
पिछले तीन महीनों में आकाश हेल्थकेयर ने युवाओं में टीबी के 50 से ज्यादा केसेस प्राप्त हुए हैं। 2020 में कोविड का प्रकोप शुरू होने के बाद से युवाओं में टीबी के केसेस वैश्विक स्तर पर बढ़े हैं। 2020 में लगभग 1 करोड़ टीबी के केसेस थे। हर साल टीबी के सभी नए केसेस का 25% से ज्यादा और दुनिया भर में सभी टीबी मौतों का 34% हिस्सा भारत से होता है। यह एक गंभीर स्थिति है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
*डॉ बुद्धराजा ने इस बारे में आगे कहा* , “चूँकि टीबी हवा से होने वाला संक्रमण है इसलिए टीबी के बैक्टीरिया संक्रामक मरीज द्वारा खांसने या छींकने पर हवा में चले जाते हैं। बुनियादी वेंटिलेशन, प्राकृतिक प्रकाश (यूवी प्रकाश टीबी बैक्टीरिया को मारता है), और अच्छी साफ़-सफाई जैसे खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढंकना संक्रमण के फैलने की संभावना को कम करता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि टीबी से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका यह है कि खुद की इम्युनिटी को मजबूत बनाया जाए। ऐसा मानना है कि मजबूत इम्युनिटी सिस्टम वाले लोग लगभग 60% टीबी के बैक्टीरिया को ख़त्म कर सकते हैं। कोविड-19 ने कई लोगों की इम्युनिटी को कमजोर कर दिया है। इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए स्वस्थ खानपान, नियमित रूप से एक्सरसाइज करने और हर दिन कम से कम 8 घंटे सोना बहुत जरूरी है।”
जब किसी मरीज में ट्यूबरकुलोसिस का डायग्नोसिस किया जाता है तो यह जरूरी हो जाता है कि वह समय पर एंटी-टीबी दवा ले और ट्रीटमेंट का कोर्स पूरा करे। अपराजिता अभी दवा पर है और उसकी हालत में काफी सुधार हुआ है।
*अपराजिता ने इस संबंध में बताते हुए कहा,* “लॉकडाउन के दौरान मैं बहुत खराब लाइफस्टाइल की आदी हो गयी थी जिससे मेरी इम्युनिटी बहुत कमजोर हो गयी थी। इससे फेफड़ों वाली टीबी हो गई। मैं आकाश हॉस्पिटल के डॉक्टरों की आभारी हूं जिन्होंने समय पर सलाह दी और इस बीमारी से उबरने में मेरी मदद की।