ठंडी में आपकी अंगुली भी हो जाती है लाल, होम्योपैथी है ना

नई दिल्ली: कभी-कभी बहुत सर्दी की वजह से कुछ लोगों को फ्रोस्टबाइट नामक इंजूरी हो जाती है। इसमें त्वचा और कुछ अंदरूनी हिस्से के टिशू के फ्रीज हो जाने की वजह से होता है। इसमें पहले तो त्वचा बेहद ठंडी और लाल पडऩे लगती है, फिर धीरे-धीरे वह सुन्न और कड़ी होने लगती है। फ्रोस्टबाइट की समस्या अकसर उंगलियों, पैर के अंगूठे, नाक, कान, गाल और ठोड़ी पर हो सकती है। सर्दियों या ठंडी हवाओं के मौसम में अगर त्वचा को ढक कर न रखें तो भी यह समस्या आम हो सकती है। कभी-कभी कुछ लोगों में ग्लव्स आदि पहनने के बावजूद इस समस्या के लक्षण देखे जा सकते हैं।

फ्रोस्टबाइट की पहली स्टेज फ्रोस्ट निप होती है, जिससे त्वचा को स्थायी नुकसान नहीं पहुंचता है। फ्रोस्टबाइट के शुरुआती व हलके इन्फेक्शन को फस्र्ट एड या त्वचा की री-वॉर्मिंग के द्वारा ठीक किया जा सकता है। अगर समस्या बढ़ चुकी हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए वर्ना उससे त्वचा, टिश्यूज, मसल्स और हड्डियों को खासा नुकसान पहुंच सकता है। समस्या अधिक बढऩे पर इन्फेक्शन होने के साथ ही नर्व भी डैमेज हो सकते हैं। डॉ. पंकज अग्रवाल से जानें फ्रोस्टबाइट के लक्षणों के बारे में।

इस बीमारी की पहचान ऐसे करें :
– त्वचा का अत्यधिक ठंडा होना, कोई चुभन सी महसूस होना
– सुन्न पडऩा
– त्वचा का लाल, सफेद, हलका नीला या पीला सा पडऩा
– त्वचा का कठोर या मोम जैसा होना
– जोड़ों या मसल्स के कठोर होने की वजह से त्वचा का भद्दा लगना
– री-वॉर्मिंग के बाद फफोले पडऩा

इलाज की जरूरत कब होती है:
: त्वचा के पीले या सफेद पडऩे पर, फफोले होने पर, सुन्न होने पर
: दर्द, सूजन, लालिमा होने पर, कभी-कभी संक्रमित त्वचा से किसी द्रव्य का रिसाव होने लगता है, ऐसे में भी देर नहीं करनी चाहिए
: बुखार आने पर

जानें इसके कारण
त्वचा और अंडरलाइंग टिश्यूज के जम जाने पर फ्रोस्टबाइट की समस्या उत्पन्न होती है। अत्यधिक ठंड पडऩे पर यह समस्या हो सकती है। बर्फ, फ्रीजिंग मेटल्स या बहुत ठंडे पेय पदार्थ के डायरेक्ट संपर्क में आ जाने पर भ्ज्ञी यह समस्या हो सकती है।

रिस्क भी है:
ऐसी समस्याएं हो सकती हैं, जिनसे ठंड को महसूस करने की क्षमता में गिरावट आने लगती है, जैसे, डीहाइड्रेशन, मधुमेह, खून के प्रवाह का बदलना
– डर महसूस होना, पैनिक करना या दिमागी असंतुलन होना
– शिशुओं या बूढ़े लोग अधिक परेशान होते हैं
– ऊंचे एल्टिट्यूड पर होने से ऑक्सीजन सप्लाई में गिरावट आ सकती है।

फ्रोस्टबाइट के कारण होने वाली और समस्याएं-
– ठंड के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है
– दोबारा फ्रोस्टबाइट होने की आशंका रहती है
– संक्रमित जगह लंबे समय तक सुन्न रह सकती है
– फ्रोस्टबाइट आर्थराइटिस
– बच्चों के विकास में समस्या होना, अगर उससे हड्डियां प्रभावित होती हैं
– इन्फेक्शन
– टेटनस
– गैन्ग्रीन – इसमें टिश्यू खराब या खत्म होने की आाशंका रहती है

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