डायबिटिज के मरीजों के लिए सर्जरी कराना हमेशा ही एक चुनौतीपूर्ण निर्णय होता है, सर्जरी चाहें योजना बद्ध तरीके से कराई जाएं या फिर इमरजेंसी में सर्जरी की जरूरत हो, ब्लड शुगर अनियंत्रित होने पर मरीज को अधिक रक्तस्त्राव, संक्रमण, घाव होना या फिर किडनी और लिवर फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। खून में शुगर का स्तर 180 एमजीडीएल से कम होने को ब्लड शुगर की की एक आर्दश स्थिति कहा जाता है। डायबिटिज के मरीजों में सर्जरी से पहले ऐसी किसी भी संभावना से बचने के लिए चिकित्सक ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित रखने की सलाह देते हैं, मरीज को एनीस्थिसिया देने से पहले शुगर की पूरी तरह मॉनिरिंग की जाती है, चिकित्सक अब पहले से कहीं अधिक बेहतर दवाओं के साथ डायबिटिक मरीजों में शुगर को नियंत्रित करने में सक्षम हैं।
द्वारका स्थित टाका (टेक केयर) सेंटर फॉर सर्जरी के जनरल और लैप्रोस्कोपिक सर्जन (Laparoscopic surgeon) डॉ. विकास गुप्ता कहते हैं कि डायबिटिज एक क्रॉनिक बीमारी है मरीज में यदि लंबे समय तक शुगर अनियंत्रित है तो इससे जीवनदायक आर्गन जैसे लिवर और किडनी के कार्य करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है, मरीज को जख्म जल्दी ठीक नहीं होते और संक्रमण तेजी से बढ़ता है। कोई भी सर्जन ब्लड शुगर नियंत्रित होने तक सर्जरी करने का निर्णय नहीं ले सकता है। डायबिटिज के मरीजों में यदि सर्जरी पूर्व निर्धारित या योजनाबद्ध तरीके से की जाएं तो हम शुगर को नियंत्रित रखने के लिए कई तरह उपाय अपना सकते हैं। सर्जरी से पहले ही नहीं पोस्ट ऑपरेटिव (Post Operative) या सर्जरी के बाद भी डायबिटिज प्रबंधन के जरिए मरीज की मॉनिटरिंग की जाती है। जिससे सर्जरी के अधिक बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकें।
मूलचंद अस्पताल के पूर्व वरिष्ठ चिकित्सक और वर्तमान में हेल्थ सिटी अस्पताल केमन आईसलैंड के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. श्रीकांत शर्मा कहते हैं कि डायबिटिज मरीज के किडनी, लिवर, आंखें, दिल, नर्व सिस्टम और रक्तवाहिनियों को भी प्रभावित करती है, ब्लड में शुगर को नियंत्रित रखने के लिए संयमित दिनचर्या और दवाओं को सही प्रयोग जरूरी करना जरूरी है। ऐसे मरीज हमारे पास जब सर्जरी के लिए आते हैं तो हमें अधिक एहतियात बरतने की जरूरत होती है, सर्जरी के दौरान बरती गई थोड़ी सी भी लापरवाही मरीज के लिए घातक हो सकती है। शुगर मॉनिटरिंग के साथ ही सर्जरी से पहले मरीज को डायट चार्ट भी तैयार किया जाता है।
इंदौर के वरिष्ठ लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. अविनाश विस्वानी कहते हैं कि लांग एक्टिंग और शार्ट एक्टिंग इंसुलिन (short acting and long acting insulin) के नियमित मॉनिटरिंग से डायबिटिज मरीजों में इलेक्टिव या योजनाबद्ध तरीके से की गई सर्जरी के बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं, इससे मरीजों को सर्जरी के बाद होने वाली परेशानियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जबलपुर मध्यप्रदेश के त्रिवेणी हेल्थकेयर की निदेशक और डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. अनुश्री जामदर कहती हैं कि डायबटिक मरीजों की प्लांड या योजनाबद्ध सर्जरी करने से पहले हम मरीज के शुगर स्तर को नियंत्रित करने के लिए अमूमत दो या तीन दिन का समय देते हैं, वहीं यदि सर्जरी आपातकालीन स्थिति में की जानी है तो हम मरीज को शार्ट एक्टिंग इंसुलिन या फिर दवाएं देते हैं, जिससे ऑपरेशन थियेटर में जाने से पहले हर घंटे मरीज का शर्करा स्तर की मॉनिटरिंग की जाती है। सर्जरी के दौरान और सर्जरी के बाद भी मरीज के ग्लूकोज लेवल पर कड़ी नजर रखी जाती है जिससे अनियंत्रित शुगर से होने वाली परेशानियों को टाला जा सके।