नई दिल्ली
हरियाणा निवासी प्रीतपाल सिंह को स्पाइनल कार्ड की तकलीफ थी, साधारण दिनचर्या का काम करने के लिए उन्हें चार लोगों का सहारा लेना पड़ता था। कई चिकित्सकों से संपर्क किया तो उन्हें सर्जरी की सलाह दी गई। सर्जरी की जगह प्रीतपाल ने आर्युवेदिक दवा पर अधिक भरोसा किया। फाइथो जेनेटिक केडीएसफोर दवा के सेवन से तीन दिन में प्रीतपाल व्हील चेयर छोड़ खुद चलने लगे।
प्रीतपाल इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में अपने अनुभव साझा कर रहे थे। प्रीतपाल ने बताया कि स्पाइनल कार्ड की तकलीफ का इलाज करने के लिए उन्हें सर्जरी की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने सर्जरी की जगह उन्होंने आर्युवेदिक दवा का इस्तेमाल किया, एक महीने में दवा की छह डोज से उनकी परेशानी का इलाज हो गगया। जिसकी वजह से तीन महीने में प्रीतपाल को व्हील चेयर से छुटकारा मिल गया। इस बावत जेनेटिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. अखौरी शंकर ने बताया कि सारी बीमारियों की जड़ जेनेटिक डिस्ऑर्डर है। लाइफ स्टाइल बदलने की वजह से बीमारियों हमला करती है। जबकि यदि जीन्स की गड़बड़ी को ठीक कर दिया जाएं तो इलाज संभव है। दरअसल केडीएसफोर दवा का इस फार्मुले पर आधारित है कि सभी आर्गन स्पाइनल कॉर्ड से जुड़े होते है, जहां से सभी आर्गन तक पहुंचा जा सकता है। एक महीने में दवा की छह डोज स्पाइनल से जुड़े आर्गन तक पहुंचती है और जेनेटिक गड़बड़ी को दूर कर देती है। केडीएसफोर के जरिए डॉ. अखौरी शंकर ए मेडिसिन फॉर वन हेल्थ की विचारधारा को लागू करना चाहते हैं। जिसमें बीमारियों की वजह पहचान कर उनका इलाज जड़ से किया जाएं। मालूम हो कि केडीएसफोर को पौधों के सत से तैयार किया गया है। यूएसए, यूरोप, सिंगापुर सहित कई देशो में दवा को पेटेंट लिया जा चुका है, भारत में इसका पेटेंट लेने की औपचारिकता छह महीने में पूरी हो जाएगी। केडीएसफोर से स्पांडलाइटिस, अस्थमा, फैटी लिवर, सिस्ट, कोलेस्ट्राल, स्किन संबंधी बीमारियां आदि का इलाज किया जा सकता है।