हर माता पिता के लिए वह दिन यादगार रहता है जबकि उनका बच्चा पहली बार अपने पैरो पर चलना सीखता है, इस पल को वह आजीवन सहेज कर रखना चाहते है, अमूमन बच्चा एक साल से तीन साल के बीच पैरो पर खड़ा होना सीख जाता है, लेकिन तीन साल के बाद में अगर वह घुटनो के बल चलता है तोह ध्यान देना चाहिए यह आटिज्म की शुरुआत भी हो सकती है,
पारस ब्लिस अस्पताल की डॉ वरिष्ठ बाल रोग सलाहकार डॉ. ज्योति चावला ने बताया की तीन साल के बाद भी यदि बच्चा सही से अपने पैरो के बल नहीं खड़ा हो पा रहा तोह यह नूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की शिकायत हो सकती है. जिसे आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है इसमें बच्चे माता पिता से संवाद कायम नहीं कर पाते उनको बोलने में, अपनी बात समझने में और सुनने में दिक्कत होती है, इस तरह के बच्चे इक ही तरह का व्यवहार बार बार दोहराते है, बीमारी की पहचान शुरुआत में न होने पर बच्चा बाद में स्लो लर्निंग डिसऑर्डर का भी शिकार हो जाता है, डॉ. ज्योति ने बताया की एक से दो साल के बाद भी बच्चा यदि पैरो पर खड़ा नहीं हो पा रहा तोह कुछ बातो पर ध्यान देना चाहिए, इसमें बच्चे के घुटनो की हलकी मालिश कर टेंडन को मजबूत किया जा सकता है, टेंडन को मज़बूत करने के लिए प्लास्टर की मदद भी ली जा सकती है, बावजूद इसके यदि पैरो के टेंडन मजबूत न हो आटिज्म की जाँच करा लेनी चाहिए.