नई दिल्ली,
ई सिगरेट को प्रतिबंधित करने वाले विधेयक को सोमवार को संसद से मंजूरी मिल गयी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन द्वारा राज्यसभा में पेश ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) प्रतिषेध विधेयक, 2019 को उच्च सदन ने चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा से यह विधेयक गत सप्ताह ही पारित हो चुका है। विधेयक पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुये डा. हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया की तमाम अग्रणी तंबाकू कंपनियों ने भारत में युवाओं और किशोरों को लक्षित करते हुये ई सिगरेट उत्पाद उतारने की तैयारी कर ली थी।
उन्होंने कहा, ‘‘देश की युवा शक्ति को इस खतरे से बचाने के लिये एक जिम्मेदार सरकार होने के नाते हमने इस पर प्रतिबंध लगाया है।’’
उन्होंने कहा कि अग्रणी तंबाकू कंपनियां अलग अलग नाम से बाजार में ई सिगरेट का कारोबार कर रही हैं और इनमें से कई नामी कंपनियों ने भारत में इन उत्पादों को पेश करने की तैयारी कर ली थी। डा. हर्षवर्धन ने कहा,‘ यह सही है कि भारत में कुल आबादी के करीब 0.2 प्रतिशत लोगों द्वारा ही ई सिगरेट का इस्तेमाल करने का अनुमान है। लेकिन हाल ही में दिल्ली के स्कूलों के औचक निरीक्षण में बच्चों केबैग से ई सिगरेट के इस्तेमाल में काम आने वाले 150 वेपिंग डिवाइस पाए गए। आसन्न संकट की इस आहट को महसूस करते हुये सरकार का मानना है कि युवा वर्ग खास तौर पर इस खतरे की जद में हैं । ’’
उन्होंने कहा कि आधुनिक दिखने की निशानी के तौर पर पेश की जा रही ई सिगरेट को इसके आकर्षक डिजाइन, सघन मार्केटिंग और इसके विज्ञापनों में ग्लैमर का तड़का लगाकर इसे बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है । लेकिन इसके हानिकारक प्रभाव से युवाओं को बचाना जरुरी है। तंबाकू कंपनियों के दबाव में ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के विपक्षी दलों के सदस्यों की शंकाओं को निराधार बताते हुये स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सर्जन होने के नाते उन्होंने स्वयं तंबाकू जनित बीमारियों के मरीजों का इलाज किया है इसलिये उन्हें इसकी गंभीरता का अहसास है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी तरह के दबाव में आये बिना यह फैसला किया है और इस बारे में सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है।
सिगरेट, बीड़ी की तुलना में ई सिगरेट के कम नुकसानदायक होने की विपक्षी सदस्यों की दलील के जवाब में डा. हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘कम नुकसानदायक होने का मतलब यह नहीं है कि इसका कोई नुकसान नहीं है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुये सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया था।’’ मंत्री ने कहा कि अगस्त 2018 में एक जनहित याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंत्रालय से इस संबंध में एक नीति बनाने को कहा था । भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ई सिगरेट पर अपने श्वेत पत्र में इस पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था। अमेरिका में भी हाल के समय में ई सिगरेट के हानिकारक प्रभाव सामने आए हैं ।
डॉ हर्षवद्र्धन ने कहा कि ई सिगरेट का स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव होता है। इससे फेफड़े, हृदय, जिगर पर असर होता है और हाइपरटेंशन सहित अन्य बीमारियां भी होती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में एक जिम्मेदार सरकार होने के नाते पहले हम इसे प्रतिबंधित करने के लिये अध्यादेश ले कर आए और अब हम विधेयक लेकर आए हैं । ’’ उन्होंने कहा कि ई सिगरेट का देश में एक बार प्रसार हो जाने के बाद स्थिति बेहद गंभीर हो जाती , इसलिए सरकार ने एहतियात बरतते हुये यह फैसला किया है। डा हर्षवर्धन के जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी।
ई सिगरेट के नुकसान का जिक्र करते हुये मंत्री ने कहा कि इसमें फार्मेल्डिहाइड, भारी धातुएं, बेंजीन जैसे तत्व होते हैं जो कैंसर की वजह होते हैं । इसमें मौजूद ई तरल पदार्थ में ग्लाइकोजेन और निकोटिन पाया है जो जहरीला होता है। उन्होंने कहा कि इसमें निकोटिन सल्फेट पाया जाता है जिसका पहले कीटनाशक में उपयोग किया गया लेकिन बाद में इसे कीटनाशक के उपयुक्त भी नहीं पाया गया। मंत्री ने कहा कि 2025 तक तंबाकू के उपभोग को 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
विधेयक में कहा गया है कि इस कानून का उल्लंघन करने पर, पहली बार अपराध के मामले में एक वर्ष तक कैद अथवा एक लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों और अगले अपराध के लिए तीन वर्ष तक कैद और पांच लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों लगाया जा सकता है। विधेयक के अनुसार, ई सिगरेट का भंडारण भी दंडनीय होगा और इसके लिये छह महीने तक की सजा या 50 हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है। उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य से यह प्रदर्शित होता है कि ई सिगरेट का उपयोग सक्रिय उपयोगकर्ता के लिये जोखिम वाला है। ई सिगरेट के घोल और उत्सर्जन को नुकसानदायक माना जाता है। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि इसमें प्राधिकृत अधिकारी को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों के पैकेज रखे जाने वाले परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने तथा ऐसे स्टाक को जब्त करने का अधिकार होगा।
(भाषा)