नवग्रह और कोरोना वॉरियर, साइंस और फैंटेसी का तानाबाना

नई दिल्ली,
एम्स की डॉक्टर कोरोना वॉरियर पर यदि कोई किताब लिख रही हैं तो हर किसी के मन में पहला ख्याल तमाम मेडिकल संभावनाओं को लेकर ही उठेगा। कोरोना का समय चिकित्सकों के लिए कैसा रहा, किस मानसिक परेशानी से वह दौर गुजरा आदि, यह सही भी हैे लेकिन वैदिक ज्योतिष, नवग्रह और ग्रहों की चाल भी इस किताब का हिस्सा हो सकती है यह शायद हमारी कल्पनाओं से भी परे होगा। लेकिन सत्य सही है एम्स के बायोसाइंस विभाग की डॉ. सुजाता शर्मा की किताब वॉरियर्स इन व्हाइट ऐसे ही परिवेश से गुजरती है। जहां कोरोना से लड़ने वाले नायक ग्रह है तो नेतृत्व करने वाले चिकित्सक डॉ रणदीप गुलेरिया सूर्य की भूमिका में है। एम्स पूरा ब्रहृमांड बन जाता है।
शनिवार को एम्स के रामालिंगा स्वामी सभागार में डॉ. सुजाता शर्मा की किताब वॉरियरर्स इन व्हाइट का विमोचन किया गया। कल्पना और विज्ञान के तानेबाने को साथ किताब के एक एक अध्याय को बेहतरीन तरीके से पिरोया गया है। वैक्सीन बनने की कम होती उम्मीद के बीच लेखिका ने निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के साथ हुई उस समय की वार्ता को बखूबी उकेरा है जबकि समाचार पत्रों में डॉ. गुलेरिया ने बयान दिया था कि हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। डॉ. सुजाता ने कोरोना वॉरियर और बाद में कोरोना पॉजिटिव नौ चिकित्सकों की टीम को उनके कोरोना पॉजिटिव होने के अनुभव को नवग्रह से तुलना करते हुए बखूबी लिखा है। अंत में कोरोना के होने का अर्थ भी बताया गया है। कल्पना चावला एक्सिलेंस अवार्ड से सम्मानिक डॉ. सुजाता की पहले भी दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। मॉलीक्यूल में गंभीर रूचि रखने वाले डॉ. सुजाता ने इससे पहले द सिक्रेट ऑफ द रेड क्रिस्टिल और ए ड्रेगोनिफाई परपज लिखी हैं। ए ड्रेगोनिफाई परपज उनकी खुद की बायोग्राफ है। मालूम हो कि डॉ. सुजाता गुलियन रेड सिंड्रोम से उबर चुकी हैं।

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