पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला नाइट्रेट मस्तिष्क संबंधी कई तरह के विकारों की समस्या बढ़ा रहा है, इस बावत इंडियन जर्नल ऑफ इंवारयमेंटल साइंस द्वारा किए गए अध्ययन में दिल्ली के कई ऐसे इलाकों का पानी सेहत के हानिकारक पाया गया है जहां भूमिगत जल की निर्भरता अधिक है या फिर पानी को साफ करने के लिए मानक से अधिक इस्तेमाल किया गया।
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए अध्ययन के परिणाम के बाद नाइट्रेट इस्तेमाल के हर तरह के विकल्प जैसे खेती में उर्वरा, डीजल वाहन और पानी साफ करने के इसके इस्तेमाल को सीमित करने की बात कही गई है। नेशनल इंवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर के डॉ. दीपांजन मंजूमदार के अनुसार पानी के जरिए शरीर में पहुंचने वाली नाइट्रेट की निर्धारित मात्रा से चार गुना अधिक मात्रा कई शहरों के पानी में देखी गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन एक लीटर पानी में दस एमजी नाइट्रेट की अनुमति देता है, जबकि भारत में 200 से अधिक शहरों के उठाए गए सैंपल में इसकी मात्रा 45 एमजी देखी गई। केन्द्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण की मदद से 2500 जगहों के पानी के नमूने लिए गए। इसमें दिल्ली की 40 ऐसी जगहों को शामिल किया गया, जहां भूमिगत जल पर निर्भरता है। कंझावला, हाथीकलां, अलीपुर, कोटला मुबारकपुर सहित नजफगढ़ आदि इलाकों में दिल्ली जल बोर्ड की सीमित आपूर्ति के कारण लोग भूमिगत जल पर निर्भर हैं, जहां के पानी में नाइट्रेट की मात्रा 140 एमजी से अधिक देखी गई।
ब्लू बेबी सिंड्रोम सहित कई दिक्क्त
अधिक नाइट्रेट युक्त पानी के लगातार इस्तेमाल से बुजुर्गो को डिमेंशिया और नवजात में ब्लू बेबी सिंड्रोम, गैस्ट्रिक कैंसर सहित कुपोषण का खतरा देखा गया। डॉ. मंजूमदार ने बताया कि नाइट्रेट अपने आप में सेहत के लिए हानिकारक नहीं है, सोडियम और अमोनिया नाइट्रेट का इस्तेमाल किडनी में स्टोन को ठीक करने के लिए किया जाता है, लेकिन पानी के जरिए लिवर में पहुंचा नाइट्रेट, नाइट्राइट में बदल जाता है। लिवर के एंजाइम्स का लंबे समय तक असर खून में आयरन की मात्रा बढ़ा देता है जो मेथोहीमोग्लोबिया के रूप में सामने आता है, बुजुर्गो पर इसका असर गैस्ट्रिम कैंसर और अल्सर भी बनाता है।
दिल्ली में नौ प्रतिशत नवजात को ब्लू बेबी सिंड्रोम
इंडियन पीडियाट्रिक एसोसिएशन के डॉ. अनूप मित्तल ने बताया कि बोरवेल के पानी की वजह से देशभर में 12 प्रतिशत नवजात दिल संबंधी विकास ब्लू बेबी सिंड्रोम के साथ पैदा होते हैं, जबकि दिल्ली में यह आंकड़ा नौ प्रतिशत है, बाहरी दिल्ली के ऐसे इलाके जहां अधिक नाइट्रेट युक्त पानी की आपूर्ति होती है वहां इसका प्रतिशत अधिक है, ऐसे बच्चों के दिल में खून का प्रवाह उल्टी दिशा में होता है, जन्म के बाद सर्जरी कर धमनियों में खून के प्रवाह को ठीक किया जाता है।