“प्ले सेफ” (Play-safe) विश्व लिवर दिवस पर शुरू हुआ अभियान

नई दिल्ली,

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज और इंडियन हेल्थकेयर वर्कर्स कोएलिशन (कऌहउ) ने हाल ही में भारत में लिवर की बीमारियों पर दूसरे इंडिया लिवर हेल्थ समिटा समापन किया। इसी क्रम में19 अप्रैल 2023 को विश्व लिवर दिवस केअवसर पर आईएलबीएस द्वारा प्ले-सेफ ‘प्रोटेक्टिंग लिवर फ्रॉम अल्कोहल यूज इन यूथ एन्हांसिंग सोसाइटी एंड फैमिली अवेयरनेस’ अभियान शुरू किया गया था। इसमें संस्थान शराब से संबंधित लिवर रोगों का मुकाबला करने के लिए सामाजिक और पारिवारिक जागरूकता बढ़ाएगा।

इस अवसर पर नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी श्री सहित समाज के प्रसिद्ध क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। जिसमें डॉ अशोक चौहान, अध्यक्ष, एमिटी एजुकेशन ग्रुप, और यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रोफेसर दीपक कुमार श्रीवास्तव मौजूद थे।

आईएलबीएस के प्रमुख डॉ. सरीन ने कहा कि भारत में शराब से संबंधित लिवर रोग के बढ़ते बोझ पर विशेष रूप से युवा आयु वर्ग के बीच जोर दिया। उन्होंने शराब के दुरुपयोग के परिणामस्वरूप सिरोसिस के कारण यकृत प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले युवा नागरिकों की बढ़ती संख्या पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और आईएलबीएस में कुल दाखिलों में से 48 प्रतिशत शराबी यकृत रोग के हैं। उन्होंने कहा कि शराब अब यूरोप में लिवर कैंसर का सबसे आम कारण है। उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि एएलडी (एक्यूट लिवर डिसीस) के कारण होने वाली मौतों में हाल के दिनों में तीन गुना वृद्धि हुई है और कोविड-19 के बाद यह संख्या और भी अधिक हुई है।

यूजीसी के माननीय उपाध्यक्ष प्रो दीपक कुमार ने यूजीसी के दायरे में आने वाले सभी विश्वविद्यालयों में शराब के हानिकारक सेवन के खिलाफ एक एडवाइजरी जारी करने का वादा किया। इस अवसर पर उपस्थित कैलाश सत्यार्थी ने इस मानवीय प्रयास में एक मशाल वाहक होने के लिए डॉ. सरीन को बधाई दी। कुछ वास्तविक जीवन के उदाहरणों का हवाला देते हुए, उन्होंने समाज में शराब के दुरुपयोग की रोकथाम और नियंत्रण से निपटने के लिए करुणा के महत्व को दोहराया। उन्होंने शराब के दुरुपयोग से निपटने और इसके स्वास्थ्य और सामाजिक जटिलताओं को रोकने के इस प्रयास में अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया।

शराब से संबंधित लिवर रोग को रोकने के योगदान के लिए कुछ हस्तियों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में एक पैनल चर्चा भी आायोजित की गई। चर्चा में भारत के युवाओं को शराब से जुड़े यकृत रोगों से बचाने के लिए “सामाजिक-नियामक निवारक दृष्टिकोण” पर केन्द्रित किया गया।

इसके अलावा, इस कार्यक्रम में सामान्य समुदाय के लिए एक निशुल्क लिवर स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें आम जनता के 62 प्रतिभागियों की लिवर फाइब्रोसिस की जांच की गई। इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूली छात्रों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई।

शिखर सम्मेलन के दौरान, इस बात पर सहमति बनी कि यह आयोजन भारत में लिवर की बीमारियों का पता लगाने, इलाज करने और रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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