फेसबुक कर देगा बच्चे की पढ़ाई चौपट

नई दिल्ली: आपका बच्चा यदि दिन भर में हर पन्द्रह मिनट में फेसबुक पर ऑनलाइन रहता है या फिर दोस्तों के संपर्क में रहता है तो इसकी इस आदत पर नजर रखिए, यह आदत उसे पढ़ाई में फिसड्डी बना देगी। अमेरिका की कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। मनोचिकित्सकों के अनुसार सोशल नेटवर्किंग बच्चों के दिमाग को संकुचित कर उन्हें चिड़चिड़ा कर रही है। जिसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है।

इंस्टीट्यूट ऑफ हृयुमन बिहेव्यिर एंड एलायड साइंस के मनोचिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि सोशल नेटवर्किंग पर अधिक समय बिताने से व्यवहार में एक विशेष तरह का परिवर्तन होने लगता है। अमेरिका के अध्ययन हालांकि इसे नारसिसटिक टेंडेंसी कहते हैं, जो बच्चे को हर पन्द्रह मिनट या आधे घंटे के भीतर अपना फेसबुक अपडेट देखने को प्रेरित करता है, नियमित यह व्यवहार उसकी पढ़ाई में एकाग्रता को भंग करता है, जबकि देश में अभी सोशल नेटवर्किंग साइट के व्यवहार में परिवर्तन को इंटरनेट एडिक्शिन कहा जाता है। इसका इलाज किसी अन्य साधारण नशे के इलाज की तरह ही किया जाता है।

डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि बच्चों के व्यवहार को सामाजिक बनाने के लिए पहले माता पिता खुद ही उन्हें ऐसे साइटों पर लागइन की इजाजत देते हैं, जबकि बाद में यही आदत उन्हें अव्यवहारिक भी बना देती है। वह वास्तिवक दोस्त छोड़कर नेट के दोस्तों में अधिक रूचि दिखाते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मनोचिकित्सक डॉ. एचएन मलिक कहते हैं कि किसी भी तरह का इंडोर मनोरंजन व्यवहार को व्यापक नहीं बना सकता, चाहे व सोशल नेटवर्किंग ही क्यों न हो। इसलिए जरूरी है कि नेट चैटिंग व ऑन लाइन के लिए समय निर्धारित किया जाए।

क्या है नुकसान
-बच्चे को यह लगता है कि उसे हर पल कोई फेसबुक पर देख रहा है
-इसलिए वह अपने हर पल की घटनाएं ऑनलाइन दोस्तों से बांटना चाहता है।
-साथियों की पोस्ट पढ़ने, उन्हें पोक व टैग आदि करने की जिज्ञासा भी उसे ऐसा करने को मजबूर करती है
-ऑनलाइन चैटिंग का नियमित शौक पढ़ाई की एकाग्रता को भंग करता है।

कैसे बचें
सोशल नेटवर्किंग साइट के नुकसान से बचने के लिए जरूरी है कि बच्चे की इस आदत पर नजर रखी जाएं, उसका फेसबुक एकाउंट चेक करें। वह किस तरह के लोगों को फ्रेड रिक्यूएस्ट भेजता है, इस पर ध्यान दे। जबकि ऑनलाइन चैटिंग का एक समय निर्धारित करें।

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