3 से 7 साल की उम्र के बच्चों में बात-बात पर एक दुसरे को धक्का देना, चीजों पर गुस्सा उतारना या फिर थूकने की आदत व्यवहार में शामिल हो रही है तो आगे उसके चलकर गुस्से को बढ़ा सकती हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पीडियाट्रिक विभाग के जेनेटिक क्लीनिक में आने वाले ऐसे बच्चों का आंकड़ा पिछले 5 साल में 70 प्रतिशत बढ़ गया है। जिसे एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिएंसिसी हाईपर एक्टिव डिस्ऑर्डर) भी कहा जाता है।
ँ एम्स के बाल मस्तिष्क रोग विभाग की प्रमुख डॉ. शेफाली गुलाटी ने बताया कि एडीएचडी के शिकार ऐसे बच्चे छोटी बात पर भी नाराज हो जाते हैं, यह समस्या उच्च आय वर्ग के हर दसवें बच्चे में देखी जा रही है। कई बार गुस्सा इतना बढ़ जाता है कि वह चीजें तोड़ने लगते हैं। ऐसा व्यवहार सप्ताह में तीन बार से अधिक सामने आए तो मनोचिकित्सक को दिखाएं। बच्चों के मस्तिष्क को हिंसक रूप में क्रियाशील करने वाली बातें अधिक प्रभावित करती हैं, जो व्यवहर को एग्रेसिव बना रही हैं। क्लीनिक पर आने वाले 1000 से अधिक बच्चों में 60 प्रतिशत बच्चों का व्यवहार सामान्य नहीं पाया गया। हालांकि 99 प्रतिशत माता पिता खुद इस व्यवहार के प्रति सचेत नहीं रहते। भाई-बहन, सहपाठी या फिर टीचर से ऊंची आवाज में जवाब देना भी सीबीसीएल (चाइल्ड बिहेव्यिर चेक लिस्ट) में असामान्य माना गया है, जिसको वह टीवी, वीडियो और मोबाइल गेम से हासिल कर रहे हैं। काउंसलिंग की श्रेणी में 4 से 8 साल के बच्चे ऐसे अधिक हैं, जो जिद के जरिए अपनी बात मनवाते हैं। जबकि 10 से 15 साल की उम्र के 40 प्रतिशत बच्चे खुद माता पिता के जरिए गुस्से की आदत का शिकार हो रहे हैं। काउंसलिंग के दौरान तीन चरणों में बच्चों के व्यवहार को परखा गया। अध्ययन में यह भी देखा गया कि बच्चों के साथ माता पिता के बिताएं जाने वाले घंटे कम हो रहे हैं। जिसका विकल्प पीसी व वीडियो गेम व टीवी के कार्यक्रम आसानी से बन गए हैं। 5 साल की उम्र तक के 65 प्रतिशत बच्चों के रोल मॉडल मॉडल वीडियोगेम के सिनचिन व डोरेमॉल, नींजा जैसे पात्र पाए गए हैं।
क्या है सीबीसीएल जांच
चाइल्ड बिहेव्यिर चेक लिस्ट के जरिए बच्चों के सामान्य व्यवहार को 25 प्रश्नों के आधार पर जांचा जाता है। जिसका जवाब माता पिता की उपस्थिति में बच्चे से पूछा जाता है। यदि 24 प्रश्नों में 20 प्रश्न उपरोक्त व्यवहार की श्रेणी में आते हैं तो बच्चों की सप्ताह में तीन बार काउंसलिंग की जाती है। जिसमें स्कूल अध्यापिकाओं को भी बुलाया जाता है। चेक लिस्ट में यदि
क्या करें माता पिता
-कम लेकिन बेहतर समय बच्चों को दें
-बात करते समय बच्चों से आंख मिलाकर बात करें
-हर जिद को पूरा न करें, शांति से समझाने का प्रयास करें
-4 से 10 साल के बीच आपसी झगड़े सामने न झुलझाएं
-क्रेच को भी नहीं माना गया है परवरिश का बेहतर माध्यम
-नियमित रूप से 6 घंटे का समय बच्चों के सानिध्य में जरूरी